डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के गृह जनपद में जमकर भ्रष्टाचार, कागज पर प्रोजेक्ट बना 20 करोड़ का घोटाला... कोरोना के दौरान सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा

punjabkesari.in Monday, Nov 14, 2022 - 01:03 PM (IST)

कौशांबी (अखिलेश कुमार) : जिले में जिला पंचायत के अफसरों के द्वारा जमकर भ्रष्टाचार करने का मामला सामने आया है। अधिकारीयों ने विभिन्न मदो के रुप में  20 करोड़ रुपए का घोटाला किया है। यह खुलासा ऑडिट रिपोर्ट के सामने आने पर हुआ है। ऑडिट टीम ने वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2020-21 तक के घोटालों की एक-एक रिपोर्ट तैयार की है। टीम ने 20 करोड़ के भुगतान पर आपत्तियां दर्ज कराई है। इतना ही नहीं घोटाले का जिम्मेदार जिला पंचायत के अफसरों को बताया गया है। ऑडिट टीम ने अपनी रिपोर्ट शासन को भेज दी है। सबसे बड़ी धांधली लगभग 10 करोड़ रुपए की पंचायत चुनाव के दौरान हुई है। अब देखना यह होगा की घोटालेबाज जिला पंचायत के अफसरों के खिलाफ शासन क्या कार्रवाई करता है?

2017 से 21 तक सरकारी धन का दुरुपयोग
वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2020-21 तक अफसरों ने सरकारी धन का दुरुपयोग किया है। कागज पर ही प्रस्ताव बना लिया जाता है और कागज पर ही काम करवा कर रकम निकाल ली जाती थी। जिले में कई स्थानों पर बालू परिवहन शुल्क के लिए बैरियर लगाए गए हैं। बैरियर शुल्क के नाम पर जमकर वसूली की गई है। लेकिन बैरियर शुल्क सरकारी कोष में नहीं जमा किया गया है। ऑडिट टीम ने इस पर कड़ी आपत्ति जाहिर की है। इतना ही नहीं बैरियर का ठेका कितने का था, वसूली का लक्ष्य क्या था, इसका कहीं कोई जिक्र ही नहीं किया गया था। 

कोरोना के दौरान सबसे ज्यादा गड़बड़ी का आरोप
प्रदेश में जब त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव हो रहे थे। उस दौरान कोरोना का प्रकोप था। जिला पंचायत के अधिकारियों ने इसका भरपूर फायदा उठाया। इतना ही नहीं राजस्व वसूली में भी जमकर खिलवाड़ किया गया। तहबाजारी से लेकर अन्य प्रकार से होने वाले राजस्व आय में गड़बड़ी की गई और सरकारी कोष में रुपया नहीं जमा किया गया। आपत्तियों पर मांगी रिपोर्ट में जिला लेखा परीक्षा अधिकारी सहकारी समितियां एवं पंचायत ने अपर मुख्य अधिकारी को वर्ष 2017-18 से लेकर वर्ष 2020-21 तक ऑडिट आपत्ति भेज दी है। साथ ही उनसे आपित्तयों के अनुपालन की आख्या रिपोर्ट मांगी है।

अपर मुख्य विकास अधिकारी समेत सात अफसर जिम्मेदार
ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2017-18 में 58 लाख 80 हजार रुपए का अनियमित भुगतान किया गया। वर्ष 2018-19 में एक करोड़ 14 लाख 56 हजार रुपए का बड़ा खेल किया गया। इसी तरह वर्ष 2019-20 में आठ करोड़ चार लाख रुपए का अनियमित भुगतान किया है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अफसरों ने सबसे ज्यादा 10 करोड़ रुपए की धांधली की है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में 10 करोड़ 72 लाख, 39 हजार रुपए का अनियमित भुगतान कर खिलवाड़ किया है। ऑडिट रिपोर्ट यह भी बता रही है कि अफसरों ने बिना काम कराए ही भुगतान किया था। जमीन पर कहीं काम ही नहीं दिख रहा है। सबकुछ कागज में किया गया था। ऑडिट टीम ने इसकी जांच की तो सारी सच्चाई खुलकर सामने आ गई। अफसर ऑडिट टीम को कराए गए कार्य का ब्योरा ही नहीं दे पाए। ऑडिट टीम ने तत्कालीन अपर मुख्य विकास अधिकारी समेत सात अफसरों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। किस अधिकारी ने कितनी रकम की गड़बड़ी की है, इसकी टिप्पणी भी अलग से कर उन्हें उत्तरदायी बताया है। यह रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी है। 

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आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई होगी

जिला पंचायत अपर मुख्य अधिकारी कमलेश सिंह ने बताया कि यहां मामला 2017 - 18 से लेकर 2020 - 21 तक का है। ऑडिट आपत्ति आई है। उसका हम लोग प्रकरण आख्या भेजेंगे। अभी घोटाला सामने नजर नही आ रहा है। मामले की जांच कराई जाएगी। ऑडिट आपत्ति का उच्च स्तर पर परिसिलन करने के बाद जो कार्रवाई होगी वह की जाएगी। 


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Content Editor

Prashant Tiwari

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