यूपी में 5 कुत्तों को हुई उम्रकैद; नसबंदी भी कराई जाएगी, कोर्ट ने दिया आदेश
punjabkesari.in Tuesday, Dec 23, 2025 - 03:45 PM (IST)
कानपुर: उत्तर प्रदेश में लगातार कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है। आतंक बढ़ाने वाले कुत्तों में सिर्फ स्ट्रीट डॉग्स ही नहीं, बल्कि पालतू कुत्ते भी शामिल हैं। जो लगातार लोगों को अपना शिकार बना रहे है। कानपुर में भी लगातार कुत्तों ने आतंक मचा रखा था, जिसके बाद 5 कुत्तों को पकड़कर कैद में रखा गया है। ये कुत्तों बार-बार लोगों को काटते थे और जानलेवा साबित हो रहे थे।
शिकायत मिलने पर हुई कार्रवाई
बता दें कि कानपुर में लगातार बढ़ रहे कुत्तों के काटने के मामलों को देखते हुए नगर निगम ने बड़ा कदम उठाया है। शहर में लोगों के लिए खतरा बन चुके 5 कुत्तों को पकड़कर एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) सेंटर में रखा गया है। इनमें सिर्फ आवारा कुत्ते ही नहीं, बल्कि कुछ पालतू कुत्ते भी शामिल हैं। नगर निगम को कंट्रोल रूम के जरिए शिकायत मिली थी कि कुछ कुत्ते बार-बार लोगों पर हमला कर रहे हैं। इसके बाद कैटल कैचिंग टीम ने कार्रवाई करते हुए इन 5 कुत्तों को पकड़ा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चल रहा अभियान
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी की निगरानी में यह अभियान चलाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए जिले भर में कुत्तों को पकड़ा जा रहा है और उनकी नसबंदी कराई जा रही है। पकड़े गए कुत्तों को एबीसी सेंटर में रखा गया है, जहां उनकी नसबंदी के साथ इलाज और निगरानी की जाएगी। उन्हें पोषक भोजन और जरूरी मेडिकल सुविधाएं दी जा रही हैं।
बार-बार काटने वाले कुत्ते नहीं छोड़े जाएंगे
अगर कोई कुत्ता किसी व्यक्ति को काटता है, तो उसे पकड़कर 10 दिनों तक एबीसी सेंटर में निगरानी में रखा जाएगा। एक बार काटने के बाद निगरानी पूरी होने पर उसे छोड़ा जा सकता है, लेकिन जो कुत्ते बार-बार लोगों पर हमला करते हैं, उन्हें वापस नहीं छोड़ा जाएगा।
गोद लेने पर ही मिलेगी रिहाई
एबीसी सेंटर में रखे गए कुत्तों को एक महीने तक निगरानी में रखा जाएगा। अगर इस दौरान कोई व्यक्ति इन्हें गोद लेना चाहता है, तो उसे नगर निगम से संपर्क करना होगा। गोद लेने वाले व्यक्ति को लिखित हलफनामा देना होगा कि वह कुत्ते की पूरी जिम्मेदारी लेगा और कुत्ता दोबारा किसी पर हमला नहीं करेगा। कुत्ते के शरीर में माइक्रोचिप भी लगाई जाएगी, ताकि प्रशासन उसकी निगरानी कर सके। अगर कोई कुत्ते को गोद नहीं लेता है, तो वह स्थायी रूप से एबीसी सेंटर में ही रहेगा।

