जेल में आसाराम के अनुयायियों द्वारा महिमामंडन: पीड़िता के पिता ने नाराजगी जताते हुए की जांच की मांग

punjabkesari.in Tuesday, Dec 22, 2020 - 06:13 PM (IST)

शाहजहांपुर: आसाराम के अनुयायियों ने लखनऊ से आकर यहां जिला कारागार में कैदियों को कथित तौर पर एक कार्यक्रम करके कंबल तथा ऋषि प्रसाद पत्रिका का वितरण किया और महिमामंडन किया। आसाराम के खिलाफ मामला दर्ज कराने वाली दुष्कर्म पीड़िता के पिता ने इसको लेकर नाराज़गी जताते हुए इस मामले की जांच की मांग़ की।

पीड़िता के पिता ने कहा कि, ‘‘कल सोमवार को जेल में आसाराम के खास समर्थक लखनऊ से आए और उन्होंने जेल के अंदर सत्संग करते हुए कंबल तथा पांच-पांच ऋषि प्रसाद पत्रिका का वितरण किया एवं सत्संग करके एक अपराधी का महिमामंडन भी किया गया।'' उन्होंने कहा कि ‘आसाराम की खराब हुई छवि को सुधारने के लिए अनुयायी ढोंग करने से बाज नहीं आ रहे हैं इसीलिए इस तरह का अनर्गल कार्य कर रहे हैं।'' उन्होंने इस पूरे मामले के जांच की मांग की है।

जेल अधीक्षक राकेश कुमार ने फोन पर बताया कि जेल में 75 कैदियों को कंबल बांटे गए हैं क्योंकि आसाराम के अनुयाई अर्जुन तथा नारायण पांडे जब यहां जेल में बंद थे तब नारायण पांडे को पक्षाघात हुआ था और उसके आधे शरीर ने काम करना बंद कर दिया था। कुमार ने बताया, ‘‘जेल प्रशासन ने उसका इलाज कराया और जब वह यहां से जमानत पर छूटा तब उसने कैदियों को कंबल बंटवाने को कहा था।''

कुमार ने बताया कि कल सोमवार को इसी क्रम में अर्जुन तथा नारायण पांडे ने एक संदेश भिजवाया और बाद में 75 कंबल भेजे जो कैदियों में बांटे गए हैं। उन्होंने सत्संग तथा आसाराम के महिमामंडन की बात निराधार बताई। अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) रामसेवक द्विवेदी ने बताया, ‘‘मामला उनके संज्ञान में नहीं है और यदि ऐसा हुआ है तो मामले की जांच कराकर विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगीl''

ग़ौरतलब है कि शाहजहांपुर की एक छात्रा, जो आसाराम के जोधपुर स्थित आश्रम में पढ़ती थी, ने आसाराम पर उसके साथ दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया था। बाद में मामले में 2013 में आसाराम को जेल भेज दिया गया तथा 2018 में उन्हें अदालत ने सजा सुनाई थी। तब से आसाराम जेल में ही बंद है। आसाराम प्रकरण में एक प्रमुख गवाह कृपाल सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी उसी मामले में यहां शाहजहांपुर जिला कारागार में अर्जुन और नारायण बंद थे जिन्हें कुछ समय पूर्व जमानत मिल गई थी।
 


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Umakant yadav

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