कानपुरः हैलट की दुलारी भेजी गई लखनऊ, अब राजकीय बाल गृह में होगा पालन-पोषण
punjabkesari.in Saturday, Jul 06, 2024 - 09:24 PM (IST)
कानपुर: हैलट में छोड़कर फरार हुए माता-पिता का सुराग नहीं मिला तो अस्पताल स्टॉफ ने नवजात बच्ची को बड़े लाड प्यार से पाला। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग से शुक्रवार को सबकी लाडो सिया लखनऊ चली गई। वह नौ माह में यहां सबकी आंख का तारा बन गई थी। हर किसी को नन्ही बच्ची की मुस्कान देखने की आदत हो गई थी। कोई डॉक्टर या स्टाफ उसे गोदी में खिलाता तो कोई उसे बाहर तक घुमा लाता था। शुक्रवार को नियमों के तहत बच्ची को लखनऊ राजकीय बाल गृह भेज दिया गया। इस दौरान बच्ची को रोता देख सबकी आंखें नम हो गई, मानों वह खुद को अपने से दूर न करने की जिद कर रही हो।
बच्ची को अस्पताल में छोड़कर भाग गए माता-पिता
हैलट के जच्चा-बच्चा अस्पताल में 19 सितंबर को रनियां निवासी पूनम ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया था। बच्ची प्री-मिच्योर थी तो डॉक्टरों ने उसे एनआईसीयू के वेंटीलेटर में भर्ती किया। तब बच्ची की हालत गंभीर थी। इस दौरान उसके माता-पिता बच्ची को अस्पताल में छोड़कर भाग गए। पुलिस ने अस्पताल में दर्ज कराए गए पते और नंबर पर संपर्क किया लेकिन वह फर्जी निकले। इसके बाद एसएनसीयू में मौजूद डॉक्टरों व स्टाफ ने बच्ची को अपने घर का सदस्य समझ कर इलाज किया और जरूरत की सभी चीजें भी उपलब्ध कराई। दो माह तक कड़ी मेहनत कर डॉक्टरों ने बच्ची का जीवन बचाया। इसके बाद एनआईसीयू से बच्ची को सिस्टर रूम में एक पालना रखकर उसमे शिफ्ट कर दिया गया। उसकी देखरेख विभाग के जूनियर डॉक्टर, नर्स व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने मिलकर की। फूल सी बच्ची को कोई राधा तो कोई लाडो कोई सिया तो कोई पूनमिया के नाम से दुलार पुकारता। उसके रोने पर डॉक्टर से व स्टाफ उसे बाहर घुमाकर भी लाते थे। नौ माह तक साथ रहने की वजह बच्ची भी अस्पताल को अपना घर और स्टाफ राजकुमारी, इंदू, पूनम, कंचन, शबाना व अंजलि आदि को अपना परिजन समझने लगी थी। लेकिन शुक्रवार को बच्ची सवकी आंखें नम कर लखनऊ के राजकीय बाल गृह चली गई। अस्पताल से जाते वक्त वह रो रही थी मानों जैसे उसका जाने का मन न हो।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सभी स्टाफ रहे मौजूद
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला भी प्यारी सी बच्ची को गोद में लेने से अपने आपको रोक नहीं सके। हैलट अस्पताल प्रमुख अधीक्षक डॉ. आरके सिंह ने बच्ची को दुलार किया। इस दौरान बाल रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार आयां, बाल रोग अस्पताल के सीएमएस डॉ.विनय कटियार, जूनियर डॉक्टर व स्टाफ आदि रहे।
कई लोगों ने जाहिर की थी बच्ची को गोद लेने की इच्छा
बाल रोग विभाग की चीक सिस्टर राजकुमारी, इंदू कंचन, पूनम और शबाना से बच्ची का लगाव काफी ज्यादा हो गया था. जिस वजह से बच्ची के जाने पर उनकी आंखों से आंसू निकल आए। शबाना ने बताया कि वह बच्ची के लिए आने हाथों से कपड़े सिलकर लाती थी। घर में कोई छोटा बच्चा नहीं है, इसलिए वह उसे अपनी बच्ची की तरह ही प्यार देती थी। कई लोगों ने बच्ची को गोद लेने की इच्छा जाहिर की थी, लेकिन नियम व शर्तों की वजह से ऐसा नहीं हो सका।