हाईकोर्ट की सख्त टिप्प्णीः कहा- धर्मांतरण जारी रहा तो बहुसंख्यक आबादी हो जाएगी अल्पसंख्यक
punjabkesari.in Tuesday, Jul 02, 2024 - 08:06 AM (IST)
प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धार्मिक सभाओं में धर्मांतरण करवाने की प्रवृत्ति पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर धार्मिक सभा में धर्मांतरण करवाने की प्रवृत्ति यूं ही जारी रही तो एक न दिन भारत की बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक हो जाएगी। संविधान का अनुच्छेद 25 किसी - को भी कोई भी धर्म मानने व अपने धर्म का प्रचार करने की स्वतंत्रता देता है लेकिन धर्म प्रचार की स्वतंत्रता किसी को धर्म परिवर्तन कराने की स्वतंत्रता या अनुमति नहीं देती है। धर्मांतरण करने वाली ऐसी धार्मिक सभाओं पर तत्काल रोक लगाने की आवश्यकता है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकलपीठ ने हिंदुओं को ईसाई बनाने के मामले में आरोपी हमीरपुर के मौदहा निवासी कैलाश की जमानत याचिका को खारिज करते हुए पारित किया।
धर्मांतरण के बदले दिए जा रहे पैसे
रामकली प्रजापति ने पुलिस स्टेशन मौदहा, हमीरपुर में आईपीसी की धारा 365 और उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 की 3/5 (1) के तहत दर्ज प्राथमिकी में आरोप लगाया कि मानसिक रूप से बीमार उसके भाई को याची इलाज करवाने के बहाने गांव से निकालकर अपने साथ दिल्ली ले गया और वहां ले जाकर एक धार्मिक सभा में उसे तथा गांव के अन्य कई लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करवा दिया। इसके बदले शिकायतकर्ता के भाई को पैसे भी दिए गए।
कानूनी प्रक्रिया का पालन करना जरूरी
इलाहाबाद हाईकोर्ट इससे पहले भी धर्मांतरण को लेकर टिप्पणी कर चुका है। अप्रैल 2024 में न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की पीठ ने कहा था कि देश में कोई भी व्यक्ति धर्म बदलने के लिए स्वतंत्र है, बशर्ते कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया हो। कोर्ट ने कहा कि इसके लिए शपथ पत्र और समाचार पत्र में विज्ञापन दिया जाना जरूरी है. ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि धर्म परिवर्तन से कोई सार्वजनिक आपत्ति नहीं है। यह भी सुनिश्चित किया जाना जरूरी है कि कोई धोखाधड़ी या अवैच धर्म परिवर्तन नहीं। नहीं है। साथ ही सभी सरकारी आईडी पर नया धर्म दिखाई देना चाहिए।
उप्र में गुमराह करके बनाया जा रहा है ईसाई
कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि याची पर लगाए गए आरोप गंभीर हैं और जांच से यह पता चला है कि गांव के तमाम लोगों को ईसाई बनाया गया है, साथ ही उत्तर प्रदेश में धार्मिक आयोजनों के जरिए भोले-भाले गरीब लोगों और एससी/एसटी को गुमराह कर ईसाई बनाया जा रहा है। ऐसे में गैर कानूनी ढंग से धर्मांतरण करवाने के गंभीर आरोपों को देखते हुए याची की याचिका खारिज कर दी गई।