एक कहानी ऐसी भीः बच्चों को ठेला पर बिठा 1500 KM के सफर पर निकला पति और गर्भवती पत्नी
punjabkesari.in Saturday, May 23, 2020 - 06:47 PM (IST)
कन्नौजः कोरोना संकट के बीच लागू लॉकडाउन ने हमारे सामने देश की कई ऐसी तस्वीरें लाकर रख दी है जिसे देखकर मुंह से ‘आह’ भी निकलता है और ‘वाह’ भी निकलता है। कुछ ऐसा ही दृश्य आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर देखने को मिला। जहां एक ठेले पर बैठे चार बच्चों को पति खींच रहा था और उसे सहारा देने के लिए गर्भवती पत्नी पीछे से धक्का लगा रही थी।
बता दें कि ये झकझोर देने वाला दृश्य भले ही रात का था मगर यह चमक गया। ये अकेला परिवार नहीं बल्कि भरा पूरा 24 लोगों का कुनबा था, जो राजस्थान अलवर से बिहार के लिए 15 सौ किमी के ऐसे ही सफर पर निकल पड़ा था। ठेले को खींचते हुए ले जाते 35 वर्षीय रामू और उसे धक्का देती गर्भवती पत्नी की आंखों में बेबसी के आंसूओं की झलमलाहट नजर आई। उन्होंने बताया कि साहब हमारी जिंदगी ऐसी ही है।
कबाड़ में काम करता है रामूमंडल
रामू ने बताया कि वह मूलरूप से बिहार के कटिहार थाना बरारी के बाकिया सुखाय गांव का रहने वाला है। बीते कई वर्षों से राजस्थान के अलवर में कबाड़ का काम करता था और इसमें उसके साथ तीन भाई नीरु, वउकू और चंदन भी हाथ बंटाते थे। उसका और भाइयों का परिवार अलवर में रहकर गुजर बसर कर रहा था। लॉकडाउन लगा तो कुछ दिनों बाद परिवार में 24 सदस्यों को भरपेट खाना खिलाना मुश्किल हो गया। किराएदार किराया मांगने लगा और न देने पर बिजली, पानी काट दिया। श्रमिक स्पेशल ट्रेन के लिए तीन बार आवेदन किया लेकिन उसे टिकट नहीं मिला। प्राइवेट के लिए पैसा नहीं था। मजबूरन भीख मांगकर बच्चों का पेट भरना पड़ा।
गर्भवती पत्नी मारती है ठेले पर पीछे से धक्का
रामू ने बताया कि कुछ किलोमीटर चलने के बाद सभी थक गए और भूख से आगे चलना मुश्किल हो गया। रास्ते कहीं कुछ मिल जाता तो खा लेते और पानी पीकर आगे बढ़ते चले आए। मेरी हालत देखकर पत्नी संतोष से रहा नहीं गया और वह रिक्शे में पीछे से धक्का मारने लगी। पत्नी से पेट से है, इसलिए उसे कई बार रोका भी लेकिन वह मेरी हालत देखकर मानने को तैयार नहीं हुई। उसे इस तरह साथ निभाते देखकर कई बार आंखें भी भर आईं लेकिन हिम्मत नहीं हारी और यहां तक आ गए।