BJP के सहयोगी संजय निषाद बोले-निषादों की उपेक्षा सरकार को पड़ेगी भारी
punjabkesari.in Tuesday, Jul 20, 2021 - 07:19 PM (IST)

सोनभद्र: अपने 'हक' की मांग को लेकर भाजपा पर लगातार उसके सहयोगी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साध रहे है। इसी क्रम में निर्बल इंडियन शोषित दल के (निषाद) के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय कुमार निषाद भी भाजपा को इसके लिए आगाह कर रहे है। उन्होंने एक बार फिर कहा कि निषादों की उपेक्षा करना आगामी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बहुत भारी पड़ेगा।
निषाद ने बातचीत में कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव के समय भाजपा ने कहा था कि सत्ता में आते ही निषादों के आरक्षण के मुद्दे को प्राथमिकता से हल किया जाएगा लेकिन वे तो सरकार की अंतिम प्राथमिकता में भी नहीं हैं। निषाद समाज में रोष के कारण पंचायत चुनावों में भाजपा को काफ़ी नुक़सान उठाना पड़ा है। यही रवैया रहा तो अगले साल के शुरू में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को यह बहुत भारी पड़ेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि योगी आदित्यनाथ ने सांसद रहते हुए संसद में निषाद आरक्षण के मुद्दे का समर्थन किया था लेकिन अब वह अपना ही वादा पूरा करते नजर नहीं आ रहे हैं। त्रिस्तरीय चुनाव में निषाद पार्टी भाजपा से अलग होकर लड़ी थी। उसका परिणाम यह हुआ कि भाजपा चौथे स्थान पर चली गयी। पूर्व में कांग्रेस ने हमारे लोगों को धोखा दिया तो वह ख़त्म हो गयी। उसी प्रकार सपा और बसपा ने धोखा दिया उन्हें भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। अगर भाजपा भी यही रवैया अपनाती है तो उसका भी यही हश्र होगा।
निषाद ने कहा कि उनकी पार्टी की सरकार से गिनी चुनी मांग की हैं। सबसे पहले उन्हें आरक्षण दिया जाए। इसके अलावा तथा नदी, ताल और घाटों के किनारे बसने वाले मछुआरों के खिलाफ दर्ज मुक़दमे वापस हों। साथ ही उन क्षेत्रों के सभी भ्रष्ट अधिकारियों को निलंबित किया जाय। इसके अतिरिक्त नदी, ताल, घाटों पर बालू के पट्टे मछुआरा जातियों के नाम आवंटित करने का कानून बनाते हुए उनके किनारे की ज़मीन मछुआरों के लिए आरक्षित की जाय। खुद को उप मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित किये जाने की मांग दोहराते हुए निषाद ने कहा कि उत्तर प्रदेश में मछुआरा जातियों की आबादी करीब 18 प्रतिशत है। इतनी बड़ी जनसंख्या का एक प्रतिनिधि सदन में होना आवश्यक है। अगर उप मुख्यमंत्री का पद मिल जाय तो उससे बेहतर और क्या हो सकता है।