कांवड़ के दौरान भोजनालयों पर नाम संबंधी निर्देश ‘संभावित भ्रम' से बचने के लिए: यूपी सरकार

punjabkesari.in Friday, Jul 26, 2024 - 03:54 PM (IST)

UP News: उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को अपने मालिकों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के अपने निर्देश का बचाव करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य पारदर्शिता लाना, ‘‘संभावित भ्रम'' से बचना और शांतिपूर्ण यात्रा सुनिश्चित करना है। उच्चतम न्यायालय ने 22 जुलाई को भाजपा शासित उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों द्वारा जारी इन निर्देशों पर अंतरिम रोक लगा दी थी। दोनों राज्य सरकारों के निर्देशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं के अपने जवाबी हलफनामे में उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा, ‘‘यह ध्यान देने योग्य है कि संबंधित निर्देशों के पीछे का विचार यात्रा की अवधि के दौरान कांवड़ियों द्वारा खाए जाने वाले भोजन के संबंध में पारदर्शिता और सूचित विकल्प प्रदान करना है। कांवड़ियों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखा गया है, ताकि वे गलती से भी अपनी आस्थाओं के विरुद्ध न जाएं।''

सरकार ने ये दिया जवाब
कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजनालयों को अपने मालिकों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के निर्देश की विपक्ष ने निंदा की और कहा कि इसका उद्देश्य धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा देना है। उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्चतम न्यायालय में दाखिल अपने जवाब में कहा कि राज्य द्वारा यह सुनिश्चित करने का ध्यान रखा जाता है कि सभी धर्मों, आस्थाओं और विश्वासों के लोग एक साथ रहें तथा उनके त्योहारों को समान महत्व दिया जाए। इसने कहा, ‘‘यह सूचित किया गया है कि उक्त प्रेस विज्ञप्ति केवल कांवड़ यात्रा को शांतिपूर्ण संपन्न कराने के लिए जारी की गई थी, जिसमें प्रतिवर्ष 4.07 करोड़ से अधिक कांवड़िये भाग लेते हैं।'' राज्य सरकार ने कहा कि उसने खाद्य विक्रेताओं के व्यापार या कारोबार पर कोई प्रतिबंध या रोक नहीं लगाई है (मांसाहारी भोजन बेचने पर प्रतिबंध को छोड़कर) और वे अपना कारोबार सामान्य रूप से करने के लिए स्वतंत्र हैं।

'निर्देश संभावित भ्रम से बचने के लिए एक अतिरिक्त उपाय मात्र है'
उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा, ‘‘भोजनालय मालिकों के नाम और पहचान प्रदर्शित करने का उद्देश्य पारदर्शिता सुनिश्चित करने और कांवड़ियों के बीच किसी भी संभावित भ्रम से बचने के लिए एक अतिरिक्त उपाय मात्र है।'' हलफनामे के अनुसार, संबंधित निर्देश किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करते हैं और नाम और पहचान प्रदर्शित करने की आवश्यकता मार्ग पर सभी खाद्य विक्रेताओं पर समान रूप से लागू होती है, चाहे उनका धार्मिक या सामुदायिक जुड़ाव कुछ भी हो। इसमें कहा गया है कि यह निर्देश कांवड़ यात्रा मार्ग तक ही सीमित है तथा दो सप्ताह से कम समय के लिए है। सरकार ने कहा कि शांतिपूर्ण एवं सौहार्दपूर्ण तीर्थयात्रा सुनिश्चित करने के लिए निवारक उपाय करना अनिवार्य है। पिछली घटनाओं से पता चलता है कि बेचे जा रहे भोजन के प्रकार के बारे में गलतफहमी के कारण तनाव और अशांति पैदा हुई है। निर्देश ऐसी स्थितियों से बचने के लिए एक सक्रिय उपाय है।'' 


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Content Editor

Pooja Gill

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