जयंत चौधरी का बड़ा बयान, कहा- आधुनिक लोकतांत्रिक भारत में ज्ञानवापी जैसी मुद्दे पर विचार नहीं किया जाना चाहिए

punjabkesari.in Sunday, May 29, 2022 - 04:54 PM (IST)

लखनऊ: राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने से पहले रविवार को कहा कि आधुनिक लोकतांत्रिक भारत में ज्ञानवापी मस्जिद जैसी बहस पर विचार नहीं किया जाना चाहिए। राज्यसभा चुनाव के लिए सोमवार को रालोद प्रमुख अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। जयंत चौधरी इस सवाल पर चुप्पी साधे रहे कि क्या समाजवादी पार्टी (सपा) द्वारा राज्यसभा चुनाव के लिए उनके नाम की घोषणा करने में देरी से वह परेशान थे, जबकि उनकी पार्टी के सूत्रों ने कहा कि शुरू में वह गठबंधन के सहयोगी के रुख से काफी अचंभित और परेशान थे। सूत्र ने कहा, ‘‘हालांकि, आखिरकार सबकुछ ठीक हो गया।'' रालोद ने विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ा और इनका गठबंधन 2019 के लोकसभा चुनाव से चल रहा है। सपा ने तीन दिन पहले यह घोषणा की कि जयंत चौधरी समाजवादी पार्टी और रालोद की ओर से राज्यसभा चुनाव के लिये संयुक्त प्रत्याशी होंगे जबकि सपा के समर्थन से कपिल सिब्बल और जावेद अली खान पहले ही नामांकन पत्र दाखिल कर चुके हैं।

जयंत चौधरी की उम्मीदवारी की देर से घोषणा होने से इन अटकलों को बल मिला कि जयंत चौधरी परेशान थे। राज्यसभा के लिए चुने जाने के बाद चौधरी उच्‍च सदन में अपनी पार्टी के अकेले सदस्‍य होंगे। जयंत चौधरी ने दूरभाष पर 'पीटीआई-भाषा' से बातचीत में ज्ञानवापी मस्जिद के मुद्दे पर कहा, "यदि आप इसे देखें, तो कानून इस तरह की बहस (जैसी ज्ञानवापी मुद्दे पर चल रही है) की अनुमति नहीं देता है। हमें आधुनिक लोकतांत्रिक भारत में ऐसी बहसों पर विचार नहीं करना चाहिए।'' उन्होंने जोर देकर कहा, '' हम अपने इतिहास की घटनाओं का उल्लेख करके भविष्य के लिए और अधिक गड़बड़ी पैदा करने की कोशिश न करें। हमें आगे की ओर देखने और वास्तविक भारत के वास्तविक मुद्दों पर चर्चा करने की आवश्यकता है।'' चौधरी से उनके नामांकन पत्र दाखिल करने के बारे में पूछे जाने पर कहा, "मैं सोमवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल करूंगा। आज पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की पुण्यतिथि के अवसर पर दिल्ली में एक कार्यक्रम है। हम एक 'सामाजिक न्याय सम्मेलन' कर रहे हैं। हम अन्य मुद्दो के साथ जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं। इसमें विभिन्न दलों के प्रतिनिधि होंगे।'

 गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह रालोद प्रमुख के पितामह (बाबा) ह्रैं। विधानसभा और उसके बाहर रालोद की भूमिका पर चौधरी ने कहा, "हम उत्तर प्रदेश विधानसभा में बहुत सकारात्मक भूमिका निभाएंगे। हम अपने क्षेत्रों और निर्वाचन क्षेत्रों को विकसित करने पर ध्यान देंगे। विपक्ष के बीच, हम नंबर दो पार्टी हैं और यह एक बड़ी जिम्मेदारी है। हम विपक्षी एकता को मजबूत रखेंगे।" इस साल हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में राज्य की 403 सीट में से भारतीय जनता पार्टी ने 255 पर जीत हासिल की, जबकि उसकी सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) और निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद) को क्रमश: 12 और छह सीट मिली थीं। सपा ने 111 सीट, उसकी सहयोगी रालोद को आठ तथा एक अन्य सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) को छह सीट पर जीत मिली। कांग्रेस को दो, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक को दो और बसपा को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली। यह पूछे जाने पर कि हाल ही में विधानसभा में पेश किए गए वित्त वर्ष 2022-23 के उत्तर प्रदेश के बजट को वह कैसे देखते हैं, चौधरी ने कहा, "अगर हम भाजपा के हर बजट भाषण को देखें तो वे बहुत समान हैं। उप्र का कर्ज बढ़ रहा है, बेरोजगारी भी बढ़ गई है।" उन्होंने कहा कि बेरोजगारी के मसले पर राज्‍य सरकार ने जरा भी ध्यान नहीं दिया और राज्य के सार्वजनिक उपक्रमों की वित्तीय स्थिति बहुत खराब है। उन्होंने कहा कि आधारभूत संरचना चरमरा रही है और नई सड़कों की गुणवत्ता ठीक नहीं हैं। उन्‍होंने दावा किया कि पूर्वांचल एक्सप्रेस वे टूट रहा है। उन्होंने कहा कि इन बिंदुओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

 उन्होंने कहा, ‘'हम सभी जानते हैं कि उप्र में बजट का एक बड़ा हिस्सा वेतन देने में जाता है।'' गन्ना किसानों का भुगतान लंबित होने पर उन्होंने कहा कि फसल के उत्पादन में वृद्धि के कारण समस्या हुई। उन्होंने सरकार पर तंज किया कि ऐसा कोई तंत्र नहीं बनाया, जिससे गन्ना किसानों को समय पर भुगतान मिल सके। भारत निर्वाचन आयोग के अनुसार, राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 मई है। उनकी जांच एक जून को की जाएगी जबकि उम्मीदवारी वापस लेने की अंतिम तिथि तीन जून है। 10 जून को मतदान होगा और उसी दिन मतों की गिनती होगी। उत्तर प्रदेश विधानसभा में 273 विधायकों के साथ सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाले राजग के आठ सदस्यों के संसद के उच्च सदन के लिए चुने जाने की उम्मीद है जबकि सपा और उसकी सहयोगी - रालोद और सुभासपा - 125 विधायकों की ताकत के साथ तीन उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करेगी।

 उत्तर प्रदेश से राज्यसभा की कुल सीट की संख्या 31 है। प्रदेश के 11 सेवानिवृत्त होने वाले राज्यसभा सदस्यों में पांच भाजपा के, तीन सपा के, दो बसपा के और एक कांग्रेस का है। भाजपा के पांच सेवानिवृत्त राज्यसभा सदस्यों में जफर इस्लाम, शिव प्रताप शुक्ला, संजय सेठ, सुरेंद्र नागर और जय प्रकाश निषाद हैं। अपना कार्यकाल पूरा करने वाले सपा नेताओं में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के पूर्व अध्यक्ष सुखराम सिंह यादव भी शामिल हैं, जिनके बेटे मोहित भाजपा में शामिल हो गए हैं। यादव के अलावा रेवती रमन सिंह और विशंभर प्रसाद निषाद का कार्यकाल भी जुलाई में समाप्त हो जाएगा। बसपा के जिन सांसदों का कार्यकाल खत्म हो रहा है उनमें सतीश चंद्र मिश्रा और अशोक सिद्धार्थ हैं। कांग्रेस के पूर्व नेता कपिल सिब्बल का कार्यकाल भी जुलाई में समाप्त हो रहा है। कपिल सिब्बल कांग्रेस से त्यागपत्र दे चुके हैं और उन्‍होंने सपा के समर्थन से नामांकन पत्र भरा है। उप्र में राज्यसभा चुनाव में जीत के लिए एक उम्मीदवार को कम से कम 34 विधानसभा सदस्यों के मतों की आवश्यकता होगी। 


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Content Writer

Ramkesh

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