इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनाया महत्वपूर्ण आदेशः फैसला सुनाने के बाद समन आदेश जारी करना अनुचित

punjabkesari.in Friday, Sep 08, 2023 - 02:51 PM (IST)

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि किसी मजिस्ट्रेट या अदालत को आपराधिक केस में अभियुक्तों को सजा सुनाने के बाद उसी मामले में किसी अन्य को समन जारी कर बुलाने का अधिकार नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति शिव शंकर प्रसाद ने मेरठ के मेडिकल कॉलेज की प्राचार्या पद्मश्री डॉ उषा शर्मा की पुनरीक्षण याचिका को स्वीकार करते हुए दिया और अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, मेरठ के समन को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया।

PunjabKesari

कोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद गत 21 अगस्त को फैसला सुरक्षित कर लिया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि विचारण अदालत ने साक्ष्यों व फैसलों पर बिना गौर किए समन जारी कर दिया है। दरअसल उक्त मेडिकल कॉलेज के एलजेबी हास्टल में सचिन मलिक को आवंटित कमरे में द्वितीय वर्ष के छात्र सिद्धार्थ चौधरी का मृत शरीर मिला था। वार्डन ने पुलिस व माता- पिता को सूचित किया, जिसके बाद मुजफ्फरनगर निवासी मृतक के पिता डॉ. सुरेंद्र सिंह गरवाल ने 6 जुलाई 2004 को मेडिकल थाना, मेरठ में आईपीसी की धारा 302 और 34 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत किस कारण हुई, पता नहीं चल सका। हालांकि मृतक के शरीर पर चोटें मिली हैं।

PunjabKesari

पुलिस ने मौजूदा मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी, लेकिन शिकायतकर्ता के आपत्ति करने पर तीन आरोपियों सचिन मलिक, अमनदीप सिंह व यशपाल राणा को समन जारी किया गया और आरोप निर्मित कर ट्रायल हुआ, लेकिन प्राचार्या पर क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार कर ली गई। 12 दिसंबर 2019 को अदालत ने तीनों आरोपियों को उम्रकैद व एक लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। इसी आदेश से सीआरपीसी की धारा 319 के तहत याची को भी समन जारी किया। कोर्ट ने किसी मामले में फैसला सुनाने के बाद किसी अन्य को समन जारी करने को अवैध माना।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Ajay kumar

Related News

static