जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज ने न्याय संहिता पर व्यक्त किए विचार, मनुस्मृति को जलाने वालों को दिया ये संदेश

punjabkesari.in Sunday, Mar 23, 2025 - 02:31 PM (IST)

चित्रकूट (वीरेन्द्र शुक्ला ): चित्रकूट जनपद के जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय में भारतीय न्याय संहिता 2023 पर आधारित एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी का आयोजन उत्तर प्रदेश क्षेत्रीय शाखा विधान भवन द्वारा किया गया था। इस कार्यक्रम में विधान परिषद के सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह, विधानसभा के कई सदस्य और जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

नया कानून भारतीयता को ध्यान रख कर किया गया तैयार 
गोष्ठी में भारतीय न्याय संहिता 2023 के लागू होने पर विचार किए गए। विधान परिषद के सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय न्याय संहिता के लागू होने से न्याय प्रणाली में एक नया युग शुरू हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में यह ऐतिहासिक कदम उठाया गया है, जिससे भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदल दिया गया। उन्होंने यह भी बताया कि यह नया कानून भारतीयता, भारतीय संविधान और जनता की चिंता को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।

मनुस्मृति को जलाने वाले वास्तविक अर्थ से अनजान
वहीं, जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज ने भारतीय न्याय संहिता पर अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा कि मनु महाराज से लेकर ऋषियों तक जो न्याय देने की परंपरा रही है, उसे ध्यान में रखते हुए इस नए कानून को बनाना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा कि मनुस्मृति को जलाने का प्रयास करने वाले लोग इसके वास्तविक अर्थ से अनजान हैं। उन्होंने महाभारत और रामायण के न्याय प्रणाली की तुलना करते हुए यह सुझाव दिया कि नए कानून में सज्जनों की रक्षा, दुष्टों का दमन और कर्तव्य की व्यवस्था को शामिल किया जाना चाहिए।


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Content Writer

Ramkesh

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