''काशी: लक्खा मेले में शुमार तुलसीदास द्वारा शुरू की गई अनूठी नाग नथैया लीला संपन्न''

punjabkesari.in Friday, Nov 01, 2019 - 11:39 AM (IST)

वाराणसी: धर्म की नगरी काशी में गंगा किनारे आस्था और विश्वास के अटूट संगम का नजारा देखने को मिला। यहां के तुलसीघाट पर गंगा कुछ समय के लिए यमुना में परिवर्तित हो गई और गंगा तट वृन्दावन के घाट में बदल गया। यहां कार्तिक मास में होने वाले लगभग 452 वर्ष पुराने श्री कृष्ण लीला की श्रृंखला में नागनथैया लीला का आयोजन किया गया। वैसे तो कई मेले ऐसे होते हैं, जो किसी न किसी पौराणिक लीला से सम्बंधित होते है। इसी में से एक बेहद खास है  “नाग नथैया लीला” जिसमें बाल स्वरूप भगवान श्री कृष्ण कालिया नाग का मर्दन करते हैं।
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बता दें कि काशी में गंगा तट के तुलसी घाट पर जुटी ये लाखों की भीड़ उस अनोखे पल को देखने के लिए आई है,जिसको इन लोगों ने अपने बुजुर्गों से  सुना है। नाग नथैया त्योहार तुलसी घाट पर कार्तिक महीने में लक्खा मेले के रूप में मनाया जाता है। यह नाग नथैया लीला के रूप में लोकप्रिय है। यह त्योहार कृष्ण लीला समारोह का एक हिस्सा है। इस घटना को भगवान श्री कृष्ण के जीवन की प्रसिद्ध घटना के रूप में दर्शाया गया है। काशी के लोग ही नहीं इस लीला को देखने के लिए देश-विदेश से भी नागरिक आते हैं। वहीं विदेशी सैलानियों का कहना है कि इससे पहले कभी ऐसा अद्भुत अनुभव कहीं और से नहीं हुआ है।
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गोस्वामी तुलसीदास ने इस लीला की नीव रखी: आयोजक
नाग नथैया के आयोजक पं विशम्भर नाथ मिश्रा का कहना है कि इस पौराणिक कथा “नाग नथैया”  का मूल महाभारत में वर्णित है। जब भगवान श्री कृष्ण किशोर अवस्था में थे, वह यमुना नदी में अपनी गेंद को खो देते हैं। इसी नदी में एक विषैला कालिया नाग रहता था। उसके विष का इतना प्रभाव था की नदी का पूरा जल ही उसके विष से काला प्रतीत होता था। लेकिन  बाल कृष्णा अपनी गेंद को वापस लाने के लिए नदी में कूद पड़ते हैं। जिस नाग के विष से पूरा गांव भयभीत रहता था उसी नाग के अहंकार को नष्ट करके भगवान् कृष्ण दिव्य रूप में सबके सामने प्रकट होते हैं। उनहोमे बताया कि श्री कृष्ण लीला में लाखों भक्तों कि भीड़ आस्था और श्रध्दा में सरोबोर रहती है। यह लीला साढ़े 400 वर्षों से भी पुरानी है। बताया जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास ने इस लीला की नीव रखी थी। ऐसी अनूठी लीला देश में कहीं और देखने को नहीं मिलती है।

 

 

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Ajay kumar

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