खुशखबरी: पर्यटकों के लिए आज से खुल गया कतर्नियाघाट अभयारण्य, सैलानी उठा सकेंगे प्रकृति का लुत्फ
punjabkesari.in Monday, Nov 15, 2021 - 04:55 PM (IST)
बहराइच: कतर्नियाघाट वन्यजीव विहार का सुरम्य जंगल क्षेत्र सोमवार से पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। वन विभाग ने इस सत्र से पर्यटकों को थारू संस्कृति से रूबरू कराना शुरू किया है। कोरोना संक्रमण के कारण लम्बे समय से कतर्नियाघाट वन्यजीव विहार आम पर्यटकों के लिए बंद था। इसे एक नवंबर से खोला जाना था लेकिन बारिश के कारण पर्यटन सत्र 15 दिन विलंबित किया गया है।
प्रभागीय वनाधिकारी आकाश दीप बधावन ने सोमवार को बताया कि इस सत्र से पर्यटक यहां दोपहर को थारू व्यंजनों वाली "विशेष थारू थाली" व थारू नृत्य का आनंद लेंगे। सैलानी यहां की यादें साथ लेकर जाएं इसके लिए नेचर शॉप पर थारू समाज द्वारा बनाए गए जैकेट, टोपी, गेहूं के डंठल की कलाकृतियां, बांस के आभूषण, थारू कलाकृतियां, मशरूम व अन्य सामान बिक्री हेतु रखे गये हैं। इससे यहां की संस्कृति को देश विदेश के लोग जान रहे हैं साथ ही स्थानीय ग्रामीणों के रोजगार में भी इजाफा हो रहा है।
उन्होंने बताया कि इस बार वन विभाग ने पर्यटकों के लिए कुछ नये नियमों के साथ पर्यटन सुविधाएं दी हैं। जंगल क्षेत्र में अपने वाहन से भ्रमण पर रोक लगाई गयी है। लेकिन विभाग की ओर से सैनेटाइजर व अन्य कोविड नियमों के साथ दो दर्जन से अधिक जिप्सी व हाई पावर फोर व्हील ड्राइव वाले वाहनों से जंगल सफारी की व्यवस्था की गयी है। उनके मुताबिक सफारी के दौरान पर्यटक चीतलों की उछलकूद व पक्षियों की चहचहाहट का भरपूर आनंद लेते दिख रहे हैं। जंगल में पाए जाने वाले वन्यजीव बाघ, तेंदुआ, गैंडा, चीतल, बारासिंघा, ऊदबिलाव, फिशिंग कैट, सांभर, कांकड़, जंगली सुअर, जंगली हाथी व नीलगाय आदि पर्यटकों को यहां की सैर के दौरान नजर आ सकते हैं।
बधावन ने बताया कि पर्यटन के लिए अभयारण्य को खोलने के साथ वन्यजीवों के प्राकृतिक वास का खास ध्यान रखा जा रहा है। जलीय जीवों में दुर्लभ मगरमच्छ, घड़ियाल, गंगीय डॉल्फिन, कछुआ और पक्षियों में गिद्ध, नीलकंठ, बगुला, सुर्खाब, लालसर, नीलसर, हंस व कौआरी पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं। यहां की हथिनी जयमाला और चंपाकली की सवारी आकर्षण का विषय है। करीब 550 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला कतर्नियाघाट वन्यजीव विहार दुधवा नेशनल पार्क का एक हिस्सा है। यहां की जैव विविधता एवं बाघों के संरक्षण के लिए वर्ष 2003 में इस वन्यजीव अभयारण्य को टाइगर प्रोजेक्ट में सम्मिलित किया गया है।