Loksabha Election 2024: जानिए क्या है अलीगढ़ लोकसभा सीट का इतिहास, कब किसने किसको हराया ?

punjabkesari.in Saturday, Mar 30, 2024 - 05:24 PM (IST)

Loksabha Election 2024: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुख्य सीटों में से एक सीट है अलीगढ़, राजनीतिक और सांस्कृतिक दृष्टि से ये सीट काफी महत्वपूर्ण है।अलीगढ़ कई कारणों से मशहूर है। यहां के ताले पूरी दुनिया में फेसम हैं, साथ ही यहां की अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय भी काफी सुर्खियों में रहता है। अगर बात करें इस सीट के राजनीतिक इतिहास की तो यहां 1952 और 1957 के चुनाव में कांग्रेस ने यहां जीत दर्ज की। लेकिन इसके बाद के चुनावों में गैर कांग्रेसी दलों ने यहां जीत दर्ज की। कांग्रेस की वापसी यहां 1984 में दोबारा हुई..लेकिन 1989 में जनता दल के सत्यपाल मलिक ने दुबारा इस सीट पर कब्जा किया। 
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इसके बाद ये सीट बीजेपी के अभेद्द किले के रूप में बदल गई। 1991 से लेकर 1999 तक हुए 4 चुनावों में बीजेपी की शीला गौतम का इस सीट पर कब्जा रहा। इसके बाद 2004 में कांग्रेस और 2009 में बसपा ने इस सीट को जीता लेकिन 2014 की मोदी लहर में बीजेपी से सतीश गौतम इस सीट को दोबारा बीजेपी के खाते में ले आए। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भी सतीश गौतम ने इस सीट पर जीत का परचम लहराया था।

अलीगढ़ की कौन-कौन सी विधानसभा सीटें
आइए पहले आपको ग्राफिक्स के जरिए बताते हैं अलीगढ़ की कौन-कौन सी विधानसभा सीटें अलीगढ़ लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं। अलीगढ़ लोकसभा सीट में कुल पांच विधानसभा सीटें आती है.ये सीटें खैर, बरौली, अतरौली, कोल और अलीगढ़ हैं।
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2022 में हुए विधानसभा चुनाव में ये सभी पांचों सीटें भारतीय जनता पार्टी के खाते में गई थी। वहीं, बात करें 2019 लोकसभा चुनाव की तो बीजेपी के सतीश गौतम ने इस सीट पर जीत का परचम लहराया था। इस सीट पर 20 फीसदी मुसलमान और 80 फीसदी हिंदू वोटर हैं। इससे इस सीट पर लड़ाई बेहद दिलचस्प हो जाती है। 

अलीगढ़ लोकसभा सीट पर कुल मतदाता
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इस बार 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अलीगढ़ लोकसभा सीट पर 27 लाख 59 हजार 215 वोटर अपने मत का प्रयोग करेंगे। जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 14 लाख 70 हज़ार 644 है, जबकि महिला वोटरों की संख्या 12 लाख 88 हजार 435 है। वहीं ट्रांस जेंडर वोटरों की संख्या 163 है।

एक नजर 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
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अब अगर एक नजर पिछले लोकसभा चुनाव के के नतीजों पर डालें तो साल 2019 में इस सीट पर बीजेपी के सतीश कुमार गौतम ने  6 लाख 56 हजार 215 वोट हासिल कर दूसरी बार जीत का परचम लहराया था। वहीं, बीएसपी के अजीत बालियान 4 लाख 26 हजार 954 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे थे। वहीं, तीसरे स्थान पर कांग्रेस के बिजेंद्र सिंह थे। जिन्हें 50 हजार 880 वोट मिले थे।

एक नजर 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
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अब अगर अलीगढ़ सीट पर 2014 में हुए लोकसभा चुनाव पर नज़र डालें तो इस सीट पर 2014 में बीजेपी के सतीश कुमार गौतम ने बसपा के अरविंद कुमार सिंह को 2 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था। सतीश कुमार गौतम को कुल 5 लाख 14 हज़ार 622 वोट मिले थे। जबकि बसपा के अरविंद कुमार सिंह को 2 लाख 27 हज़ार 886 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर सपा के ज़फर आलम थे। जिन्हे 2 लाख 26 हज़ार 284 वोट मिले थे।

एक नजर 2009 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
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अब अगर अलीगढ़ सीट पर 2009 में हुए लोकसभा चुनाव पर नज़र डालें तो 2009 में बसपा की राजकुमारी चौहान ने इस सीट पर कब्जा किया था। राजकुमारी ने सपा के ज़फर आलम को हराया था। राजकुमारी चौहान को 1 लाख 93 हज़ार 444 वोट मिले थे। जबकि सपा के ज़फर आलम को 1 लाख 76 हज़ार 887 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर कांग्रेस के बिजेंद्र सिंह थे। बिजेंद्र को 1 लाख 65 हज़ार 776 वोट मिले थे।

एक नजर 2004 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
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अब अगर अलीगढ़ सीट पर 2004 में हुए लोकसभा चुनाव पर नज़र डालें तो 2004 में कांग्रेस के बिजेंद्र सिंह ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। बिजेंद्र ने बीजेपी की शीला गौतम को हराया था। बिजेंद्र   सिंह को 1 लाख 67 हज़ार 42 वोट मिले थे। वहीं बीजेपी की शीला गौतम को 1 लाख 64 हज़ार 351 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर बसपा के ठाकुर जयवीर सिंह थे..जिन्हे 1 लाख 59 हज़ार 941 वोट मिले थे।

अलीगढ़ पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की धरती की वजह से जानी जाती है। बुद्धिजीवियों की इस धरती पर ब्राह्मण के साथ ही राजपूत वोटर्स की भी अच्छी खासी संख्या है। हालांकि यहां पर जातिगत समीकरण ज्यादा काम नहीं करते हैं। ब्राह्मण चेहरे सतीश गौतम को 2019 के चुनाव में 50 फीसदी से भी अधिक वोट मिले थे। सतीश गौतम को 2014 में मिले 48 फीसदी वोट की तुलना में 56 फीसदी वोट आए थे। अलीगढ़ में 20 फीसदी से मुस्लिम आबादी है, और करीब 80 फीसदी वोटर्स हिंदू है। 2019 में यहां मुसलमानों की संख्या करीब 4.5 लाख थी. जबकि लोध वोटर्स की संख्या करीब 2.5 लाख रही थी. जाट वोटर्स भी यहां मजबूत स्थिति में हैं। हैरान की बात तो ये है कि इस सीट पर सपा यानी समाजवादी पार्टी आज तक एक बार भी जीत दर्ज नहीं कर पाई है..फिलहाल 2014 से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है।
 


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Content Editor

Imran

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