माघ मेले में आए संतो ने कही बड़ी बात, "धीरेन्द्र शास्त्री का होगा आसाराम और निर्मल बाबा जैसा अंजाम"

punjabkesari.in Saturday, Jan 21, 2023 - 06:19 PM (IST)

प्रयागराज: विवादों में घिरे बागेश्वर धाम सरकार के कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री को अब प्रयागराज के माघ मेले में आए संत महात्मा भी आडे़ हाथों लेना शुरू कर दिया है। दरअसल, माघ मेले में मौजूद दंडी सन्यासियों ने खुलेआम कहा है कि धीरेंद्र शास्त्री कोई संत वंत नहीं हैं, वह ढोंगी और पाखंडी हैं। इतना ही नहीं उन्होंने आगे कहा है कि आने वाले वक्त में उनका भी हाल निर्मल बाबा और आशाराम के जैसे हो सकता है। 

बता दें कि नागपुर की संस्था पहले से ही धीरेंद्र शास्त्री को चुनौती दे चुकी है। अब माघ मेले आए संतो ने बताया कि शास्त्री जी के पास जो दिव्य शक्ति है वह तंत्र साधना करने के बाद ही प्राप्त किया जा सकता है, परंतु यह अत्यंत कठिन होता है।  जिसके पास इस तरह की शक्ति होती है वह उसका उपयोग देश व समाज के लिए करता है न की मार्केटिंग व प्रचार के लिए। वह इवेंट मैनेजमेंट कर रहे हैं। वह जिस तरीके का इवेंट आयोजित करते हैं ऐसा कोई संत कतई नहीं करता।
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"धीरेंद्र शास्त्री के बारे में कोई फैसला लेंगे"
दंडी सन्यासियों ने कहा है कि वह लोग जल्द ही माघ मेले में दूसरे धर्माचार्यों के साथ भी बैठक करेंगे और धीरेंद्र शास्त्री के बारे में कोई फैसला लेंगे।सन्यासियों ने धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रमों में जुड़ने वाले श्रद्धालुओं को वहां नहीं जाने की सलाह दी है। साफ तौर पर कहा है कि उनका यह काम सीधे तौर पर अंधविश्वास व जादू टोने के बढ़ावा देने वाला है। विज्ञान के दौर में ऐसा कतई नहीं होना चाहिए। वह श्रद्धालुओं की भावनाओं से खिलवाड़ कर रहे हैं। संतों ने धीरेंद्र शास्त्री को भी सनातन परंपरा की आड़ में लोगों को बेवकूफ बनाने से बचने की सलाह दी है।
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अब जान लीजिए विवाद क्या है?
बागेश्वर धाम सरकार पं. धीरेंद्र शास्त्री कथा करते हैं और उनकी कथा में भारी भीड़ होती है। कथा करने के दौरान धीरेंद्र शास्त्री लोगों की समस्याएं सुनते हैं और उनका तुरंत समाधान करते हैं। बताया जाता है कि भूत, प्रेत से लेकर बीमारी तक का इलाज बाबा की कथा में होता है। बाबा के समर्थक दावा करते हैं कि बागेश्वर धाम सरकार इंसान को देखते ही उसकी हर तरह की परेशानी जान लेते हैं और उसका समाधान करते हैं। 
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वहीं, बागेश्वर धाम सरकार का कहना है कि वह लोगों की अर्जियां भगवान (बालाजी हनुमान) तक पहुंचाने का जरिया मात्र हैं। जिन्हें भगवान सुनकर समाधान देते हैं। इन्हीं दावों को नगापुर की अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति ने चुनौती दी। यहीं से विवाद की शुरुआत हुई।  

 


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Imran

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