मनभावन खुशबू से देश को महका रहे हैं क्रांतिधरा के फूल, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे से राह हुई आसान

punjabkesari.in Thursday, Mar 24, 2022 - 02:42 PM (IST)

मेरठ: आजादी के आंदोलन का बिगुल फूंकने वाली क्रांतिकारियों की धरती मेरठ इन दिनों दिलोदिमाग को तरोताजा करने वाले फूलों की खेती के जरिये देश दुनिया में अपनी एक और पहचान दर्ज कराने को बेकरार है। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे से राह आसान हो जाने के बाद यहां बड़े पैमाने पर की जा रही पैदावार से फूलों का राजा गुलाब और जरबेरा फूल देश के विभिन्न राज्यों तक अपनी महक और ताजगी फैला रहे हैं। लाखों हेक्टेयर में की जाने वाली इन फूलों की खेती ने शुगर बैल्ट माने जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के लिये एक नई शुरुआत की है।

यह फूल देश की राजधानी दिल्ली की गाजीपुर मंडी से होते हुए अलग अलग शहरों में रंग और सौंदर्य के साथ खुशबू के मेल से शादी ब्याह जैसे समारोह की शोभा बढ़ा रहे हैं। इसके नतीजे में बागवानी फसलों से किसानों को अच्छा मुनाफा भी मिल रहा है। किसी भी तरह के जोखिम की आशंका से बचने के लिये एक एकड़ ग्रीनहाउस में संरक्षित गुलाब और जरबेरा की खेती किसानों की पहली पसंद बनती जा रही है। अकेले मेरठ में करीब ढाई लाख हैक्टेयर में आम तौर पर गुलाब और जरबेरा फूलों की खेती की जा रही है। इनमें एक लाख 73 हजार हेक्टेयर में गुलाब और करीब 35 हजार हेक्टेयर में जरबेरा की खेती शामिल है जबकि 28 हजार हेक्टेयर जमीन में लाल और पीली शिमला मिर्च आदि की खेती की जा रही है।

बागपत रोड स्थित कठौली निवासी प्रदीप कुमार ने बताया कि वाराणसी में अपना काम छोड़ कर वह यहां फूलों की खेती में लग गये हैं और पिछले तीन माह में उन्होंने करीब आठ लाख रुपये के गुलाब और जरबेरा फूलों को दिल्ली की गाजीपुर मंडी में बेचा है। उन्होंने बताया कि खेतों में पॉलीहाउस अर्थात पॉलीथीन से बना बाहर के वातावरण से एक रक्षात्मक छायाप्रद घर बनाकर यह खेती किया जाना कोई मुश्किल काम नहीं है। इस मामले में मेरठ के जिला उद्यान अधिकारी गमपाल सिंह ने बताया कि पॉली हाउस तकनीक का उपयोग संरक्षित खेती के तहत किया जाता है। इस तकनीक से जलवायु को नियंत्रित कर दूसरे मौसम में भी खेती की जा सकती है।

सिंह ने बताया कि ड्रिप पद्धति से सिंचाई कर तापमान व आर्द्रता को नियंत्रित किया जाता है, इससे कृत्रिम खेती की जा सकती है और इस तरह जब चाहें तब मनपसंद फसल पैदा कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत किसानों को औद्यानिक फसलों का लाभ मिल रहा है, जिसमें सरकार से डीबीटी के माध्यम से किसान को अनुदान भी प्राप्त होता है।


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Content Writer

Mamta Yadav

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