पहले लालच देते हैं... फिर डरा धमका कर जेलों में करते हैं राज, माफियाओं के गुर्गे सुरक्षाकर्मियों के घर पर रखते हैं नजर

punjabkesari.in Tuesday, Mar 21, 2023 - 03:38 PM (IST)

लखनऊ: सरकार की तरफ से कढ़ाई करने के बाद भी जेल के अंदर हो रहे भ्रष्टाचार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। माफियाओं और अपराधियों का दबदबा आज भी कायम है। अपराधी वहां तमाम सुविधाएं पाने के लिए जेल कार्मिकों को पहले लालच देते हैं, फिर डराते और परिवार का भय दिखाते हैं। इस पर भी जो नहीं झुकते हैं, वे अपने को खतरा महसूस करते हैं। 

प्रदेश में माफियाओं की चर्चा तो खूब होती है, लेकिन जनता की सुरक्षा करने वालो के पररिवारों की सुरक्षा का जिक्र नहीं किया जाता है। हालात ये हैं कि कई जेलकर्मियों को फर्ज निभाने के दौरान अपनी जान भी गंवानी पड़ती है। पिछले ढाई दशक में 17 जेलकर्मी कर्तव्य निभाते हुए अपनी जान गंवा चुके हैं। इनमें जेल वार्डर से जेलर तक शामिल हैं। 

मामला पहला 
चित्रकूट जेल के एक अधिकारी कुछ दिन पहले प्रशिक्षण पर लखनऊ आए। अफसरों से कहा कि सर, मुख्तार के लोग मेरे घरवालों पर नजर रखे हैं। मुझसे बोले, हमें पता है कि आपकी बेटी गाजीपुर के कॉलेज में पढ़ रही हैं। अधिकारी ने इसका मुकदमा दर्ज नहीं कराया। वर्तमान में वह माफिया अब्बास अंसारी को सुविधाएं देने के आरोप में जेल में हैं।

मामला दूसरा 
बरेली जेल के एक अधिकारी अपने बेटे को दस किमी दूर स्कूल छोड़ने और लेने जाते हैं। जेल में बंद माफिया और कुख्यात अपराधियों पर शुरुआती दौर में की गई सख्ती के बाद धमकियों का दौर शुरू हो गया तो एहतियात के तौर पर बेटे को किसी दूसरे साथ स्कूल भेजने से डरने लगे।

ऐसे मामलों की शिकायत मिलने पर बंदियों की जेल बदल दी जाती है। उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया जाता है जिससे सजा की अवधि बढ़ जाती है। जेल में मुलाकात और परिजनों से फोन पर बात करने की सुविधा बंद कर दी जाती है। खतरनाक अपराधी होने पर उसे हाई सिक्योरिटी बैरक में सीसीटीवी की निगरानी में रखा जाता है। हाल ही में फतेहगढ़ जेल के बंदी दिलीप मिश्रा ने पेशी से लौटने के बाद जेलर से अभद्रता की थी, जिसके बाद उसकी जेल बदल दी गई। - आनंद कुमार, डीजी, जेल


 


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Imran

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