Mahakumbh 2025: ढोल, नगाड़ों, तीर-तलवार के साथ निकली अखाड़ों की शोभायात्रा, साधु-संतों ने किया 'अमृत स्नान'
punjabkesari.in Tuesday, Jan 14, 2025 - 10:19 AM (IST)
xमहाकुम्भनगर: तीर्थराज प्रयागराज में सनातन आस्था के महापर्व महाकुम्भ का दिव्य भव्य शुभारंभ पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ हुई। पौराणिक मान्यता के अनुसार, महाकुम्भ का पहला अमृत स्नान आज मकर संक्रांति की तिथि पर विधि-विधान से हो रहा है। महाकुम्भ के पहले अमृत स्नान पर नागा साधु-संन्यासी धूनी रमा कर, अपने अस्त्र-शस्त्र, ध्वजा, ढोल-नगाडें, डमरू लेकर अमृत स्नान की शोभा यात्रा निकाल रहे है और आस्था की डुबकी लगा रहे है।
अमृत स्नान के लिए आगे बढ़ रहे सभी अखाड़े
आनंद अखाड़ा के आचार्य मंडलेश्वर बालकानंद जी महाराज मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर पहले अमृत स्नान के लिए जुलूस का नेतृत्व करते हैं। 13 अखाड़ों के साधु आज गंगा, यमुना और 'रहस्यमय' सरस्वती नदियों के पवित्र संगम त्रिवेणी संगम पर पवित्र डुबकी लगा रहे हैं। मकर संक्रांति के पहले अमृत स्नान के दिन एसएसपी कुंभ मेला राजेश द्विवेदी ने कहा, "सभी अखाड़े अमृत स्नान के लिए आगे बढ़ रहे हैं। स्नान क्षेत्र तक जाने वाले अखाड़ा मार्ग पर पुलिस के जवान तैनात हैं। अखाड़ों के साथ पुलिस, पीएसी, घुड़सवार पुलिस और अर्धसैनिक बल भी मौजूद हैं।" जूना अखाड़ा भी अमृत स्नान के लिए निकला है।
महानिर्वाण अखाड़े के महामंडलेश्वर ने किया अमृत स्नान
मकर संक्रांति पर अमृत स्नान करने के बाद महानिर्वाण अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञान पुरी ने कहा कि यहां बहुत भीड़ है, लेकिन सब कुछ जिस तरह से प्रवाहित होता है, वह अद्भुत है। हर कोई पवित्र स्नान के लिए जगह ढूंढ़ लेता है। मुझे लगता है कि यह सब यहीं देखना संभव है।
त्रिवेणी संगम पर पहुंचे निरंजनी अखाड़े के संत
13 अखाड़ों के संत आज त्रिवेणी संगम पर पवित्र डुबकी लगाएंगे। निरंजनी एवं आनंद अखाड़ा के संत अमृत स्नान के लिए त्रिवेणी संगम पर पहुंचे हैं।
अमृत स्नान का है विशेष महत्व
महाकुम्भ के अमृत स्नान का सनातन आस्था में विशेष महत्व है। अनादि काल ले साधु, संन्यासियों और श्रद्धालुओं की महाकुम्भ के अमृत काल में संगम स्नान करने की परंपरा रही है। आदि शंकराचार्य की प्रेरणा से बने अखाड़े महाकुम्भ में दिव्य शोभा यात्रा के साथ अमृत स्नान करते हैं। मान्यता के अनुसार, मकर संक्रांति के पर्व पर महाकुम्भ का पहला अमृत स्नान होता है। परंपरा अनुसार सभी अखाड़े अपने-अपने क्रम से अमृत स्नान करते हैं। अमृत स्नान की पूर्व संध्या पर सभी अखाड़ों में तैयारियां कर ली थी। अखाड़ों के सभी पदाधिकारियों, महंत, अध्यक्ष, मण्डलेश्वरों, महामण्डलेश्वरों के रथ, हाथी, घोड़ों, चांदी के हौदों की साज-सज्जा फूलों और तरह-तरह के आभूषणों से की गई। किसी रथ पर भगवान शिव का अलंकरण है तो किसी पर मोर और भगवान गणेश का।