राजनीति के मैनेजमेंट गुरु बाहुबली पंडित हरिशंकर तिवारी का निधन, माया-मुलायम की सरकार में भी रहे मंत्री
punjabkesari.in Tuesday, May 16, 2023 - 11:06 PM (IST)

गोरखपुर: पूर्वांचल की राजनीति के चाणक्य और अपने दौर के बाहुबली पंडित हरिशंकर तिवारी का लंबे बीमारी के बाद गोरखपुर स्थित आवास पर शाम को लगभग साढ़े सात बजे निधन हो गया। निधन की खबर फैलते ही उनके निवास धर्मशाला स्थित तिवारी हाता पर उनके समर्थकों की भारी भीड़ जुटने लगी। बुधवार को बड़हलगंज स्थित मुक्ति पथ पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
अतीत के आईने में: जब जेल में रहते हुए भी पंडित ने जीता था विधानॉसभा चुनाव
अपने समय ब्राह्मण राजनीति के केंद्र माने जाने वाले बाहुबली श्री तिवारी जेल से चुनाव जीतने वाले प्रदेश के पहले विधायक बने यह बात 1985 के विधानसभा चुनाव की है जब उनके विपक्षी कांग्रेसी उम्मीदवार ने स्वयं ही वॉक ओवर दे दिया।इसके बाद तो उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। इस तरह एक बाहुबली का राजनीति में प्रवेश हुआ और माननीय हरिशंकर तिवारी बन गए और एक कद्दावर ब्राह्मण नेता के रूप में स्थापित हो गए।
वर्ष 1998 के बाद हरिशंकर तिवारी के सितारे बुलंदी पर
वर्ष 1998 के बाद हरिशंकर तिवारी का सितारा जब चमकना शुरू हुआ तो फिर प्रदेश की राजनीति के बड़े केंद्र बन गए और प्रदेश में एक दिन के मुख्यमंत्री बने जगदंबिका पाल की सरकार में कैबिनेट मंत्री, 1998 में कल्याण सिंह की सरकार में मंत्री बने, तो बीजेपी के ही अगले सीएम राम प्रकाश गुप्त और राजनाथ सिंह सरकार में भी मंत्री रहे। इसके बाद मायावती और 2003 से 2007 तक मुलायम सिंह यादव की सरकार में भी मंत्री रहे।
2007 में बसपा प्रत्याशी राजेश त्रिपाठी से हुए पराजित
वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में श्री तिवारी अपने क्षेत्र चिल्लूपार से बसपा के राजेश त्रिपाठी ( फिलहाल राजेश त्रिपाठी अब भाजपा से विधायक हैं) से हार गए और यहीं से हरिशंकर तिवारी के राजनीतिक सितारे मद्धिम होना शुरू हो गए।इसके बाद 2012 में दोबारा हार के बाद हरिशंकर तिवारी ने अपनी राजनीतिक विरासत बेटे विनय शंकर तिवारी को दे दी।
हर सरकार के मंत्रीमंडल में शामिल रहे हरिशंकर तिवारी
उत्तर प्रदेश में सरकार चाहे जिसकी रही हो लेकिन पंडित हरिशंकर तिवारी के प्रभाव में कभी कमी नहीं आई। हर सरकार के मंत्रीमंडल में उनका नाम शामिल रहता था। बीजेपी के कल्याण सिंह ने 1998 में जब बसपा को तोड़कर सरकार बनाई तो उन्हें हरिशंकर तिवारी का भी समर्थन मिला। कल्याण सरकार में हरिशंकर तिवारी विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री थे।वर्ष 2000 में जब रामप्रकाश गुप्त मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने हरिशंकर तिवारी को स्टांप रजिस्ट्रेशन मंत्री बना दिया। इसी तरह 2001 में जब राजनाथ सिंह ने बीजेपी सरकार की कमान संभाली तो, उन्होंने भी हरिशंकर तिवारी को मंत्री बनाया था। हरिशकंर तिवारी 2002 में बनी मायावती की सरकार में भी शामिल रहे। मायावती के इस्तीफे के बाद अगस्त 2003 में बनी मुलायम सिंह यादव की सरकार में भी हरिशंकर तिवारी मंत्री थे।पूर्व सीएम और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनके निधन पर दुख जताया है।
तिवारी के दो पुत्र हैं, जिनमें भीष्म शंकर तिवारी और विनय शंकर तिवारी
तिवारी के दो पुत्र हैं, जिनमें भीष्म शंकर तिवारी पूर्व में संत कबीर नगर निर्वाचन क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं और छोटे पुत्र विनय शंकर तिवारी अपने पिता की परंपरागत सीट चिल्लूपार का पिछली विधानसभा (2017-2022) तक बहुजन समाज पार्टी से प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। पूर्वांचल की राजनीति में कभी खासा दबदबा रखने वाल तिवारी के निधन की खबर से उनके क्षेत्र में शोक की लहर है।