‘मुसलमानों को पार्टी से जोड़ो,’ Mayawati का पदाधिकारियों को साफ संदेश- 2027 की चाभी हाथ से न जाए
punjabkesari.in Wednesday, Oct 29, 2025 - 01:21 PM (IST)
Mayawati News: अभी भले यूपी के चुनाव में एक साल से ज्यादा का वक्त बचा है...लेकिन अभी से इसकी तैयारी में यूपी में साफ तौर पर देखने को मिल रही है, लगातार राजनीतिक पार्टियां अपने- अपने खेमों को मजबूत करने में जुटी हुई है। लगातार जिस पार्टी को जो मजबूत नजर आ रहा है, उस कडी को जोड़ने में जुटी हुई है। फिर चाहे मायावती हो या फिर अखिलेश, या फिर हो बीजेपी हर पार्टी अपने को मजबूत करने में जुटी है।
इसी कड़ी में अब बसपा सुप्रीमो मायावती अब मुस्लिम वोट बैंक पर फोकस करने जा रही हैं। उन्होंने बुधवार को लखनऊ में प्रदेशभर से मुस्लिम समाज भाईचारा संगठन के मंडल स्तरीय पदाधिकारियों के साथ बैठक की। इस बैठक में उनके साथ आकाश आनंद और राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा भी शामिल हुए, खबरों की माने तो बैठक में करीब 450 लोग हिस्सा लिया।
बैठक में 75 जिला अध्यक्ष, 90 कोऑर्डिनेटर, 36 मुस्लिम भाईचारा कमेटी के अध्यक्ष
बैठक में प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल समेत कई महिला पदाधिकारी भी मौजूद रही, बैठक में 75 जिला अध्यक्ष, 90 कोऑर्डिनेटर, 36 मुस्लिम भाईचारा कमेटी के अध्यक्ष और 36 बसपा के कोर कमेटी के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया, इसके अलावा पार्टी के वरिष्ठ मुस्लिम पदाधिकारी भी बैठक में मौजूद रहे।
बता दें कि पहले ये बैठक सिर्फ मुस्लिम भाईचारा कमेटी की थी, लेकिन बाद में इसमें बदलाव किया गया, अब बसपा के जिला अध्यक्षों को भी बुलाया गया है, एक तरफ जहां मुस्लिमों वोटरों को कैसे अपनी तरफ किया जाए इसपर चर्चा हुई तो वहीं दूसरी तरफ यूपी में होने वाली SIR पर भी चर्चा की गई, बसपा के वोटरों का नाम कैसे वोटर लिस्ट में जुड़वाया जाए, पदाधिकारी को बूथ लेवल पर कैसे काम करें, इसे लेकर दिशा निर्देश जारी किए गए।
‘मुस्लिम नाव पर सवार होना ही पड़ेगा’
दरअसल, 25 अक्टूबर को ही मायावती ने प्रदेश में मुस्लिम भाईचारा संगठन के मंडल प्रभारियों के नाम घोषित किए थे, अब वे सीधे इन्हें संगठनात्मक दिशा देने जा रही हैं, क्योंकि मायावती को भी अब समझ में आ गया है कि अगर यूपी की सत्ता की चाबी उन्हें दोबारा वापस चाहिए तो मुस्लम नाव पर सवार होना ही पड़ेगा। शायद यहीं वजह है कि मायावती की नजर अब मुस्लिम वोटरों पर टिक गई है। ताकी उनको अपनी तरफ कर सके।
वैसे देखने होगा की आने वाले चुनाव में मायावती को इसका कितना फायदा मिलता है। बहरहाल जो भी हो लेकिन मायावती अपने दम से एक बार फिर सत्ता में आने को तैयार बैठी है।

