दिवंगत मुलायम सिंह यादव को आज मिलेगा ''पद्म विभूषण'', अखिलेश यादव ग्रहण करेंगे सम्मान
punjabkesari.in Wednesday, Apr 05, 2023 - 11:15 AM (IST)

लखनऊ: यूपी के तीन बार मुख्यमंत्री, देश के रक्षा मंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत पद्मविभूषण से सम्मानित किया जा रहा है। मुलायम सिंह के पुत्र और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से सम्मान ग्रहण करेंगे। इसके लिए अखिलेश यादव लखनऊ से दिल्ली रवाना हो गए हैं। अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव भी मौके पर मौजूद रहेंगी।
राष्ट्रपति भवन में आज पद्म पुरस्कारों के सम्मान समारोह का आयोजन किया जा रहा है। ये कार्यक्रम शाम पांच बजे तय किया गया है। देश की सियासत में मुलायम सिंह यादव बड़ा नाम थे। मुलायम सिंह समर्थकों के बीच 'नेता जी' के नाम से मशहूर थे। उत्तर प्रदेश में उन्होंने समाजवाद की राजनीति को आगे बढ़ाया। इसी साल अक्टूबर में मुलायम यादव का निधन हुआ था। लोक कार्यों के लिए उन्हें पद्म विभूषण सम्मान दिया जा रहा है।
गणतंत्र दिवस पर हुई पद्म पुरस्कारों की सूची जारी
इस साल गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों की सूची जारी हुई थी, जिसमें 106 लोगों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। इस लिस्ट में 6 पद्म विभूषण, 9 पद्म भूषण और 91 पद्म श्री शामिल थे। इस बार 19 पुरस्कार विजेता महिलाएं और सूची में विदेशियों/एनआरआई/पीआईओ/ओसीआई की श्रेणी के 2 व्यक्ति और 7 मरणोपरांत पुरस्कार प्राप्त करने वाले भी शामिल थे। इस साल दिवंगत सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव, संगीतकार जाकिर हुसैन, दिवंगत दिलीप महालनोबिस, एस एम कृष्णा, श्रीनिवस वर्धन और दिवंगत बालकृष्ण दोशी को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है।
पहलवानी के कारण ही राजनीति में आए मुलायम सिंह
22 नवंबर, 1939 को इटावा के सैफई में जन्मे मुलायम सिंह यादव के पिता एक पहलवान थे और मुलायम सिंह को भी पहलवान बनाना चाहते थे। हालांकि मुलायम सिंह पहलवानी के कारण ही राजनीति में आए। दरअसल मुलायम सिंह यादव के राजनैतिक गुरु नत्थूसिंह मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती प्रतियोगिता के दौरान मुलायम से काफी प्रभावित हुए और फिर यहीं से मुलायम सिंह यादव का राजनैतिक करियर शुरु हो गया। मुलायम सिंह यादव साल 1967 में इटावा की जसवंतनगर विधानसभा से पहली बार चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे थे। मुलायम सिंह यादव यह चुनाव भारतीय राजनीति के दिग्गज राममनोहर लोहिया की संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर यह चुनाव जीते थे। इसी बीच 1968 में राममनोहर लोहिया का निधन हो गया। इसके बाद मुलायम उस वक्त के बड़े किसान नेता चरणसिंह की पार्टी भारतीय क्रांति दल में शामिल हो गए। 1974 में मुलायम सिंह बीकेडी के टिकट पर दोबारा विधायक बने। इसी बीच इमरजेंसी के दौरान मुलायम सिंह यादव भी जेल गए। जसवंतनगर से तीसरी बार विधायक चुने जाने पर मुलायम सिंह यादव रामनरेश यादव की सरकार में सहकारिता मंत्री बने। चरणसिंह के निधन के बाद मुलायम सिंह यादव का राजनैतिक कद बढ़ना शुरु हुआ।
प्रधानमंत्री बनने के काफी करीब पहुंच गए थे मुलायम...
हालांकि चरण सिंह की दावेदारी के लिए मुलायम सिंह यादव और चरण सिंह के बेटे और रालोद नेता अजीत सिंह में वर्चस्व की लड़ाई भी छिड़ी। 1990 में जनता दल में टूट हुई और 1992 में मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी की नींव रखी। राजनैतिक गठजोड़ के चलते मुलायम सिंह यादव 1989 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 1991 में हुए मध्यावधि चुनाव हुए और मुलायम सिंह यादव को हार का मुंह देखना पड़ा। 1993 में मुलायम सिंह यादव ने सत्ता कब्जाने के लिए बहुजन समाज पार्टी के साथ गठजोड़ कर लिया। यह गठजोड़ काम कर गया और वह फिर से सत्ता में आ गए। मुलायम सिंह यादव केन्द्र में रक्षा मंत्री भी बने। एक बार गठजोड़ के चलते मुलायम सिंह यादव देश के प्रधानमंत्री बनने के काफी करीब पहुंच गए थे, लेकिन लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने उनके इरादों पर पानी फेर दिया।