‘अगर मदरसों में सिर्फ धार्मिक शिक्षा ही दी जा रही है तो मुस्लिम बच्चे भी वहां क्यों पढ़ें?’

punjabkesari.in Friday, Jan 20, 2023 - 06:04 PM (IST)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी का कहना है कि अगर मदरसों में सिर्फ धार्मिक शिक्षा ही दी जा रही है तो फिर मुसलमान बच्चे भी वहां क्यों पढ़ें? गैर मुस्लिमों की तरह मुस्लिम बच्चों को भी उर्दू, अरबी और फारसी के रोजगारपरक की तालीम हासिल करने का हक है। सिर्फ अरबी- फारसी और उर्दू की शिक्षा हासिल होने से रोजगार का कोई रास्ता नहीं खुलेगा।

PunjabKesari

राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की सिफारिश को खारिज करने का अधिकार मदरसा बोर्ड को नहींः डॉ. शुचिता चतुर्वेदी
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की मदरसों के लिए जारी की सिफारिशों को उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड द्वारा खारिज करने पर डॉ. शुचिता चतुर्वेदी ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की सिफारिश को खारिज करने का अधिकार मदरसा बोर्ड को नहीं है। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के चेयरमैन ने मदरसों के संबंध में सभी राज्यों के मुख्य सचिव को पत्र लिखा था। इसका पालन कराने की जिम्मेदारी भी मुख्य सचिव की है और अपने राज्य में इसका पालन मुख्य सचिवों को कराना है।

मदरसों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम से पढ़ाने का आदेश
डॉ. चतुर्वेदी ने बताया कि सरकार ने मदरसों में एनसीईआरटी (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) पाठ्यक्रम से पढ़ाने का आदेश दिया है। किताबें भी सरकार उपलब्ध कराती है लेकिन मदरसों में जब गणित, विज्ञान और हिन्दी-अंग्रेजी पढ़ाने वाले शिक्षक ही नहीं हैं तो बच्चों को पढ़ाएगा कौन? बच्चे आधुनिक शिक्षा के साथ धार्मिक शिक्षा लें तो किसी को ऐतराज नहीं है लेकिन दूसरे स्कूलों जैसी शिक्षा मदरसों नहीं मिलेगी तो बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जायेगा। उन्हें कोई यूनिवर्सिटी एडमिशन नहीं देगी।

PunjabKesari

मुस्लिम बच्चों को भी प्राथमिक शिक्षा से वंचित न किया जाए
उन्होंने कहा है कि मुस्लिम बच्चों को भी प्राथमिक शिक्षा से वंचित न किया जाए। केवल धार्मिक शिक्षा का आयोग विरोध करता है। उन्होंने बताया कि सरकार का आदेश है कि मदरसे में टीईटी पास शिक्षक को ही रखा जाए। मुझे तो उरई और महोबा के मदरसे में भी ऐसे शिक्षक नहीं मिले। कहीं भी एनसीईआरटी पाठ्यक्रम से पढ़ाई नहीं मिली। जबकि यहां के मदरसे कई-कई एकड़ में बने हैं और वहां बिहार तक से बच्चे पढ़ाई करने आते हैं। डॉ. शुचिता चतुर्वेदी ने बताया कि निःशुल्क शिक्षा अधिनियम यह कहता है कि अच्छे स्कूलों में गरीब बच्चों को भी पढ़ाया जाए। यह बच्चे के भविष्य का सवाल भी है और उनका कानूनी अधिकार भी।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Ajay kumar

Recommended News

Related News

static