बलिया का रहस्यमयी मठ… जहाँ 'लक्ष्मण रेखा' लांघते ही होती है मौत, 8 पीढ़ियों से निभाई जा रही परंपरा

punjabkesari.in Sunday, Sep 14, 2025 - 03:20 PM (IST)

Ballia News: उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में एक ऐसा रहस्यमयी मठ मौजूद है, जिसकी मान्यताएं और परंपराएं आज भी लोगों को आश्चर्यचकित करती हैं। यह मठ बलिया के बैरिया थाना क्षेत्र के रकबा टोला गांव में स्थित है, जिसे "मुन जी बाबा की मठिया" कहा जाता है। इस मठ से जुड़ी एक कड़ी परंपरा के अनुसार, यहां के मठाधीश को जीवनभर मठ की सीमा के बाहर कदम रखने की इजाजत नहीं होती।

कपिलमुनि पांडेय की तपस्थली
इस मठ का इतिहास कपिलमुनि पांडेय उर्फ मुन जी बाबा से जुड़ा है, जिन्होंने इसी स्थान पर कठोर तपस्या की थी। मान्यता है कि तपस्या के दौरान उन्होंने एक लक्ष्मण रेखा खींच दी और उसी के भीतर बैठकर ईश्वर का ध्यान करने लगे। वे चाहते थे कि अगर भक्ति में शक्ति है, तो भगवान स्वयं दर्शन दें। भगवान ने प्रसन्न होकर दर्शन दिए, लेकिन बाबा ने वरदान लेने से इनकार कर दिया और उसी रेखा के भीतर अपने प्राण त्याग दिए।

अनोखी परंपरा और सख्त नियम
तब से यह नियम बन गया कि मठ का कोई भी मठाधीश उस लक्ष्मण रेखा को पार नहीं करेगा। इस परंपरा को अब तक आठ पीढ़ियों से निभाया जा रहा है। वर्तमान मठाधीश जयनारायण पांडेय बताते हैं कि वह पिछले 16 वर्षों से इस परंपरा को निभा रहे हैं और कभी मठ से बाहर नहीं निकले।

जब परंपरा तोड़ी गई और हुई अनहोनी
इस मान्यता को दो घटनाएं और भी पुख्ता करती हैं। एक बार पूर्व मठाधीश घरभरन बाबा को बेटी के कन्यादान के लिए लोगों ने मजबूर किया। वे मठ की सीमा से बाहर निकले, लेकिन लौटते वक्त उन्हें एक विषैले नाग ने डस लिया और उनकी मृत्यु हो गई। उसी दिन उनकी बेटी विधवा हो गई। एक अन्य घटना में एक मठाधीश मठ की सीमा में लगे आम के पेड़ से आम तोड़ने गए, लेकिन उनका एक पैर गलती से सीमा से बाहर चला गया। कुछ ही दिनों में उनका वही पैर सड़ने लगा और लंबे समय तक वे बिस्तर पर पड़े रहे।

मनोकामनाएं होती हैं पूरी
मठ में आज भी पूर्व मठाधीशों की खड़ाऊं की पूजा होती है। लोगों को विश्वास है कि यहां सच्चे मन से की गई प्रार्थना जरूर पूरी होती है। लेकिन मठाधीश के लिए बाहर की दुनिया देखना आज भी वर्जित है।


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Content Editor

Mamta Yadav

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