बदहाल यूपी की स्वास्थ्य सेवा! प्रसव पीड़ा से कराहती रही महिला, एंबुलेंस ड्राइवर ने दिया ऐसा जवाब की ससुर को निकानी पड़ी बैलगाड़ी

punjabkesari.in Tuesday, Oct 28, 2025 - 03:51 PM (IST)

हमीरपुर ( रवींद्र सिंह): उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत एक बार फिर सामने आई है। हमीरपुर जिले के मौदहा विकासखंड के छानी गऊघाट गांव के परसदवा का डेरा में प्रसव पीड़ा से जूझ रही एक महिला तक एंबुलेंस नहीं पहुंच सकी। बारिश से कीचड़ और गड्ढों में तब्दील रास्तों ने मदद का रास्ता रोक दिया। परिजन मजबूर होकर दर्द से कराहती महिला को बैलगाड़ी में बैठाकर करीब तीन किलोमीटर दूर खड़ी एंबुलेंस तक ले गए। वहां से किसी तरह महिला को अस्पताल पहुंचाया गया।

आजादी के बाद भी नहीं बनी सड़क
कहने को तो प्रदेश की सड़कों पर “गड्ढे खत्म” हो चुके हैं, लेकिन हकीकत अब भी झकझोर देने वाली है। परसदवा का डेरा गांव की तीन किलोमीटर लंबी सड़क आज भी दलदल और कीचड़ से भरी रहती है। आजादी के 78 साल बाद भी यहां एक पक्की सड़क तक नहीं बन सकी। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में कोई वाहन नहीं पहुंच पाता — न एंबुलेंस, न ट्रैक्टर, न ही बाइक। रविवार सुबह जब 23 वर्षीय रेशमा को प्रसव पीड़ा हुई, तो परिजनों ने एंबुलेंस बुलाई, लेकिन खराब रास्ता देख ड्राइवर ने गांव में आने से मना कर दिया।

बुजुर्ग ससुर ने दिखाई मिसाल
महिला के वृद्ध ससुर कृष्ण कुमार ने हिम्मत दिखाई — उन्होंने अपनी बहू रेशमा को बैलगाड़ी में लादकर कीचड़ से भरे रास्तों पर तीन किलोमीटर तक पहुंचाया। भटुरी गांव में जाकर एंबुलेंस मिली, तब कहीं जाकर महिला अस्पताल पहुंच सकी।

ग्रामीणों का आक्रोश
ग्रामीण राजेंद्र कुमार ने बताया  “हमारे गांव की तीन किलोमीटर सड़क हमेशा दलदल में डूबी रहती है। कई लोग इलाज के अभाव में रास्ते में ही दम तोड़ चुके हैं, लेकिन प्रशासन मौन है।” ग्रामीणों ने दो महीने पहले कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन कर सड़क बनवाने की मांग भी की थी, मगर जिला प्रशासन ने केवल आश्वासन देकर चुप्पी साध ली। सवाल अब भी वही है...क्या यही है विकास की सच्ची तस्वीर? क्या आजादी के इतने साल बाद भी ग्रामीण भारत बैलगाड़ी पर ही निर्भर रहेगा?
 


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Ramkesh

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