‘स्मार्ट सिटी ऑफ नॉलेज'' को झटकाः ‘ऑस्टिन विश्वविद्यालय'' के पास उ.प्र. में 42 अरब डॉलर निवेश करने योग्य संसाधन नहीं

punjabkesari.in Thursday, Dec 22, 2022 - 08:20 PM (IST)

वाशिंगटन/लखनऊ:  उत्तर प्रदेश सरकार के साथ हाल ही में 42 अरब डॉलर के निवेश से राज्य में ‘स्मार्ट सिटी ऑफ नॉलेज' विकसित करने संबंधी सहमतिपत्र पर हस्ताक्षर करने वाले कैलिफोर्निया के ऑस्टिन विश्वविद्यालय के पास इसके लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है। सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी से ऐसे संकेत मिलते हैं।

गौरतलब है कि 18 दिसंबर को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी बयान के अनुसार, उसने ऑस्टिन विश्वविद्यालय के साथ एक सहमतिपत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये हैं। यह एमओयू वित्त मंत्री सुरेश खन्ना, पूर्व मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह, अवर मुख्य सचिव, बुनियादी ढांचा एवं औद्योगिक विकास अरविंद कुमार की उपस्थिति में हुआ था। गौरतलब है कि यह ‘ऑस्टिन विश्वविद्यालय' टेक्सास ऑस्टिन के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से अलग है। टेक्सास वाला विश्वविद्यालय अमेरिका में उच्च शिक्षा का प्रतिष्ठित संस्थान है जहां भारत सहित तमाम देशों के हजारों अंतरराष्ट्रीय छात्र पढ़ते हैं।


बयान के अनुसार, 5,000 एकड़ जमीन पर ‘स्मार्ट सिटी ऑफ नॉलेज' विकसित करने पर 42 अरब डॉलर की लागत आएगी, जिसमें दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों के परिसर स्थित होंगे। ‘ऑस्टिन विश्वविद्यालय' की स्थिति के संबंध में सवाल पर अवर मुख्य सचिव अरविंद कुमार ने स्पष्ट किया कि एमओयू ‘ऑस्टिन कंसलटेंसी ग्रुप' के साथ हुआ है ऑस्टिन विश्वविद्यालय के साथ नहीं और ऐसे में विश्वविद्यालय के संसाधनों के बारे में छानबीन करने की जरूरत नहीं है।

 एमओयू से जुड़े विवादों पर कुमार ने बृहस्पतिवार को कहा, ‘‘यह सिर्फ एक प्रस्ताव है और इस स्तर पर अभी विस्तृत छंटनी नहीं हुई है और इसकी जरूरत भी नहीं है। फिलहाल ना तो हमने जमीन आवंटित की है और ना ही सब्सिडी और अन्य सुविधाओं को लेकर कोई वादा किया है। जब भी वह हमें विस्तृत जानकारी मुहैया कराएंगे, हम उनके निवेश प्रस्ताव को आगे बढ़ाएंगे।'' उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने राज्य में ‘स्मार्ट सिटी ऑफ नॉलेज' परियोजना की जिम्मेदारी उठाने का प्रस्ताव रखा है और हमने धन्यवाद के साथ उसे स्वीकार किया है।'' उत्तर प्रदेश में निवेश आकर्षित करने के लिए अमेरिका की यात्रा पर गए राज्य सरकार के प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहे कुमार ने कहा, ‘‘यह (एमओयू) प्रस्ताव की स्वीकृति का औपचारिक पत्र है ताकि उन्हें सरकार से समर्थन मिलने का भरोसा हो।''


गौरतलब है कि ‘इंटरनल रेवेन्यू सर्विसेज' (आईआरएस) के मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों की सूची में ‘ऑस्टिन विश्वविद्यालय' का नाम नहीं है। ऐसा कोई रिकॉर्ड भी नहीं है कि ऑस्टिन विश्वविद्यालय में कोई छात्र, शिक्षक या सवैतनिक कर्मचारी है। अमेरिका के शिक्षा विभाग के मान्यता प्राप्त या पंजीकृत विश्वविद्यालयों की सूची में भी ऑस्टिन विश्वविद्यालय का नाम नहीं है। ‘कॉरपोरेशन विकि' पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी के अनुसार, उसकी वेबसाइट पर विश्वविद्यालय का जो पता दिया गया है वह पता कई दर्जन अन्य कंपनियों का भी है। स्टुडेंट हैंडबुक के अनुसार, ‘‘यह संस्थान अमेरिकी इमिग्रेशन एंड कस्टम एंफोर्समेंट (आईसीई) द्वारा ‘स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम' में हिस्सा लेने के लिए मान्यता प्राप्त नहीं है और ना ही उसे आई-20 वीजा जारी करने का अधिकार है, इसलिए यह संस्थान एफ-1 या एम-1 वीजा पर आने वाले विदेशी छात्रों को स्वीकार नहीं कर सकता है। यह संस्थान कोई वीजा सेवा नहीं मुहैया कराता है और छात्रों की स्थिति पर कोई वादा नहीं करता है।''


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Content Writer

Ajay kumar

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