पद्म विभूषण पुरस्कार देकर नेताजी का अपमान, मुलायम सिंह यादव को 'भारत रत्न' से करना चाहिए था सम्मानित

punjabkesari.in Thursday, Jan 26, 2023 - 03:02 PM (IST)

लखनऊ: देश के 74 वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत सरकार ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया। इसे लेकर अब सियासत शुरु हो गई। पद्म विभूषण पुरस्कार को लेकर समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार विवादित बयान दिया है।  उन्होंने ट्वीट कर कहा कि भारत सरकार ने नेताजी मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार दिया है। उन्होंने कहा कि नेताजी के व्यक्तित्व, कृतित्व एवं राष्ट्र के प्रति किये गये योगदान का  सरकार ने उपहास उड़ाया है। उन्होंने कहा कि नेताजी को सम्मान देना ही था तो भारत रत्न के सम्मान से सम्मानित करना चाहिए था।

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बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने अभी दो दिन पहले ही रामचरितमानस (Ramcharitmanas) की कुछ चौपाइयों को लेकर विवादित ट्वीट किया है। उन्होंने कहा कि जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर यदि समाज के किसी वर्ग का अपमान हुआ है तो वह निश्चित रूप से धर्म नहीं है। यह 'अधर्म' है, नेता कहा कि रामचरित मानस की कुछ पंक्तियों में तेली और 'कुम्हार' जैसी जातियों के नामों का उल्लेख है जो जनजातियों के लाखों लोगों की भावनाओं को आहत करती हैं।

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उन्होंने कहा कि सरकार को इस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। उसके बाद राजधानी लखनऊ में लेटे हनुमान मंदिर के बाहर स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ पोस्टर लगाए गए थे।  इन पोस्टरों पर स्वामी प्रसाद मौर्य की तस्वीर लगी था और उसे लाल रंग से क्रॉस किया गया था। इस बैनर पर लिखा था अधर्मी स्वामी प्रसाद मौर्य का इस मंदिर में प्रवेश वर्जित है। ये पोस्टर मंदिर के मुख्य द्वार समेत कई जगहों पर लगाया गया था। वहीं अब मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार को लेकर सरकार पर हमला बोला है।

ये भी पढ़ें:- स्वामी प्रसाद मौर्य बोले- "अपने पूरे जीवन में इस मंदिर में न कभी गया था न कभी जाऊंगा"

लखनऊ: रामचरितमानस (Ramcharitmanas) की कुछ चौपाइयों को लेकर विरोधियों के निशाने पर आए समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर से विवाद को बढ़ाने वाला ट्वीट किया है।  उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि लखनऊ, पकापुल के पास लेटे हुए हनुमान मंदिर में पुजारियों द्वारा प्रतिबंध हास्यास्पद है, अपने पूरे जीवन में इस मंदिर में न कभी गया था न कभी जाऊंगा। जहां भेदभाव हो वहां जाने की जरूरत क्यों।

 


 


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Ramkesh

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