गोरखपुर दौरा: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रदेश के पहले आयुष विश्‍वविद्यालय की रखी नींव

punjabkesari.in Saturday, Aug 28, 2021 - 03:35 PM (IST)

गोरखपुर: देश के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को गोरखपुर के भटहट के पिपरी स्थित आयुष विश्वविद्यालय के कार्यक्रम स्थल पर पहुंच कर आयुष विश्‍वविद्यालय की नींव रखी। राष्ट्रपति ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी और मंच पर पहुंचकर शिलान्यास पट्टिका का अनावरण किया। इस दौरान उनके साथ उनकी पत्नी एवं देश की प्रथम महिला सविता कोविन्द, राज्यपाल आनंदीबेन भी मौजूद रहीं। इनके आलावा मंच पर मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी, सांसद रवि किशन, महेंद्रपाल भी शामिल थे।  

इस दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 की दूसरी लहर को नियंत्रित करने में आयुष ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कोविंद ने भटहट ब्लॉक के पीपरी-तरकुलहा में महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के शिलान्यास के अवसर पर कहा कि प्राचीन काल से ही शरीर को स्वस्थ रखने की कई पद्धतियां प्रचलित रही हैं, इन्हें सामूहिक रूप में आयुष कहते हैं। कोरोना की दूसरी लहर को नियंत्रित करने में आयुष ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वैदिक काल से हमारे यहां आरोग्य को सर्वाधिक महत्व दिया जाता रहा है। किसी भी लक्ष्य को साधने के लिए शरीर पहला साधन होता है। 

योग के माध्यम से सामाजिक जागरण का अलख जगाने वाले महायोगी गोरखनाथ ने कहा है, ‘यदे सुखम तद स्वर्गम, यदे दुखम तद नकर्म।' उन्होने कहा कि पिछले दो दशकों से आयुष की लोकप्रियता में काफी बढ़ोतरी हुई है। इससे बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार भी मिल रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे यहां कहा गया है, पहला सुख निरोगी काया। गोस्वामी तुलसीदास ने भी कहा है, बड़े भाग मानुष तन पावा। मानुष तन को निरोगी रखने में आयुष महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह कहते हुए प्रसन्नता जताई कि महायोगी गोरखनाथ के नाम पर आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना हो रही है और जल्द ही इससे संबद्ध होकर उत्तर प्रदेश में आयुष के सभी संस्थान और बेहतर कार्य कर सकेंगे।       

कोविंद ने कहा कि जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में योग की उपयोगिता से हम सभी परिचित हैं। भारत का योग यहां की संस्कृति जितना ही प्राचीन है। ऋग्वेद के समय से ही योग की महत्ता सर्वविदित है। तनाव व चिंता से निवारण में योग के उपाय अचूक हैं। उन्होंने कहा ‘‘ योग के क्षेत्र में महायोगी गोरखनाथ का योगदान अविस्मरणीय है। गोरखनाथ जी का जीवन बेहद उदात्त था इसीलिए कबीरदास जी ने उन्हें कलिकाल में अमर बताया है। गोस्वामी तुलसीदास जी कहते थे, गोरख जगायो योग। योगशास्त्र की महत्ता पर खुद गुरु गोरखनाथ कहते थे, जिसने नियमित योगशास्त्र पढ़ लिया उसे अन्य किसी शास्त्र की आवश्यकता नहीं है। योग भारत की विविधताओं में एकता का उत्तम उदाहरण है।''       

उन्होंने कहा कि सिद्ध चिकित्सा पद्धति का विकास नाथों-सिद्धों ने किया था। दक्षिण भारत मे यह विधा आज भी प्रचलित है। इस विधा के अंतर्गत खनिजों से इमरजेंसी मेडिसिन बनाने के प्रवर्तक महायोगी गोरखनाथ ही थे। राष्ट्रपति ने कहा कि आयुर्वेद प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली है जिसमें मन, शरीर और आत्मा के संतुलन पर भी पूरा ध्यान दिया जाता है। जबकि प्राकृतिक चिकित्सा हमें अपने गांव, आसपास उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों से निरोग होने की राह दिखता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी प्राकृतिक चिकित्सा के प्रबल पक्षधर थे। उनका मानना था कि छात्रों को अपने शरीर के साथ ही गांव और क्षेत्र के बारे में भी पूरी जानकारी होनी चाहिए क्योंकि हमारे आसपास प्राकृतिक चिकित्सा के लिए जड़ी बूटियों का खजाना है।       

उन्होंने कहा कि आयुष की पद्धतियों में सबसे प्राचीन योग, आयुर्वेद व सिद्ध पूरे विश्व को भारत की तरफ से दिया गया अनुपम उपहार है। राष्ट्रपति भवन में आयुष आरोग्य केंद्र की भी सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्रपति भवन परिसर में आरोग्य वन विकसित करने का कार्य भी प्रारम्भ किया गया। 

 

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Tamanna Bhardwaj

Recommended News

Related News

static