एक हजार बसों को लेकर कांग्रेस और यूपी सरकार में गतिरोध
punjabkesari.in Tuesday, May 19, 2020 - 08:00 PM (IST)

लखनऊ, 19 मई (भाषा) उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस ने प्रवासी श्रमिकों एवं कामगारों को ले जाने के लिए जिन 1000 बसों की पेशकश की है, उनमें से कई पंजीकरण नंबर दोपहिया, तीन पहिया और कारों के हैं हालांकि कांग्रेस ने इसका खंडन करते हुए चुनौती दी कि योगी आदित्यनाथ की सरकार बसों का ‘भौतिक सत्यापन’ करा ले।
कांग्रेस के मुताबिक बसें राजस्थान -उप्र सीमा पर खड़ी हैं और उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में प्रवेश की अनुमति का इंतजार कर रही हैं।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने 16 मई को पेशकश की थी कि अपने घरों को जा रहे प्रवासी श्रमिकों एवं कामगारों के लिए उत्तर प्रदेश की सीमा पर कांग्रेस 1000 बसें मुहैया कराएगी । इस पेशकश पर उत्तर प्रदेश सरकार के दोपहिया एवं कार के पंजीकरण नंबर वाले दावे ने गतिरोध पैदा कर दिया है ।
कांग्रेस ने शुरूआत में दावा किया था कि राज्य की भाजपा सरकार उसकी पेशकश की अनदेखी कर रही है । और तो और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पार्टी के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात से इंकार कर दिया ।
कोरोना लॉकडाउन के बाद घरों को जा रहे प्रवासी श्रमिकों की स्थिति पर राजनीति करने का आरोप मढ़ने वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने हालांकि सोमवार को औपचारिक रूप से कांग्रेस की पेशकश स्वीकार कर ली । सरकार ने कांग्रेस से कहा कि वह बसों, उसके ड्राइवरों और कंडक्टरों की सूची सौंपे । लेकिन गतिरोध यहीं नहीं दूर हुआ ।
कांग्रेस के मुताबिक प्रियंका गांधी के निजी सचिव द्वारा सोमवार रात 11 बजकर 40 मिनट पर रिसीव किये गये ईमेल में उत्तर प्रदेश सरकार ने कांग्रेस से कहा कि वह मंगलवार दस बजे तक बसों को लखनऊ भेज दे ।
निजी सहायक ने उत्तर प्रदेश सरकार को कहा कि जब हजारों श्रमिक यूपी की सीमाओं पर एकत्र हैं, तो ऐसे में खाली बसें लखनऊ भेजना अमानवीय है और यह गरीब विरोधी मानसिकता का परिचायक है । ''''आपकी सरकार की ये मांग राजनीति से प्रेरित लगती है । ऐसा नहीं लगता कि आपकी सरकार हमारे श्रमिक भाइयों और बहनों, जो आपदा का सामना कर रहे हैं, की मदद करना चाहती है ।''''
इस पर उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव :गृह एवं सूचना: अवनीश कुमार अवस्थी ने जवाब दिया कि बसों को सीमा पर ही लाने की अनुमति दी जाती है । उन्होंने कांग्रेस से कहा कि 19 मई के पत्र में आपने लखनऊ में बसें मुहैया कराने में असमर्थता जतायी है और आप उन्हें गाजियाबाद एवं नोएडा में देना चाहते हैं । अवस्थी ने कांग्रेस से कहा कि वह 500 बसें कौशाम्बी और साहिबाबाद बस स्टैंड पर पहुंचा दें, जहां गाजियाबाद के जिलाधिकारी उन्हें अपने पास ले लेंगे ।
अवस्थी ने कहा कि कांग्रेस 500 बाकी बसें गौतम बुद्ध नगर में एक्सपो मार्ट के निकट लगवा दें और वहां के जिलाधिकारी को सौंप दें।
अवस्थी ने कहा कि जिलाधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं कि वे ड्राइवर एवं कंडक्टर के ड्राइविंग लाइसेंस, पहचान पत्र, परमिट, फिटनेस, बीमा आदि की जांच करने के बाद तत्काल बसों का इस्तेमाल करें । राज्य सरकार ने हालांकि कहा कि जिन 1000 बसों की सूची सौंपी गयी है, उनमें अन्य वाहनों के पंजीकरण नंबर दर्ज हैं । इसके बाद बसों को लेकर विवाद उठ खडा हुआ ।
मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने कहा कि कांग्रेस की ओर से मुहैया करायी गयी सूची में मोटरसाइकिलों, तीन पहिया वाहनों, एक एंबुलेंस और निजी कारों के नंबर हैं । उन्होंने एक एंबुलेंस, एक कार और चार तीनपहिया वाहनों के पंजीकरण नंबर भी बताये ।
उन्होंने बताया कि यह ब्यौरा ''एम परिवहन'' ऐप के जरिए हासिल किया गया है । उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अशोक सिंह ने हालांकि इस दावे का खंडन करते हुए कहा कि 1000 बसें हैं और अगर उत्तर प्रदेश सरकार को कोई संदेह है तो वह राज्य की सीमा पर वाहनों को सामने देखकर उनकी पुष्टि कर सकती है ।
प्रियंका के निजी सचिव संदीप सिंह की ओर से अवस्थी को 19 मई की दोपहर लगभग सवा बारह बजे भेजे एक पत्र में कहा गया कि हमारी कुछ बसें राजस्थान से आ रही हैं और कुछ दिल्ली से । इसके लिए परमिट देने की प्रक्रिया जारी है । बसों की संख्या चूंकि काफी ज्यादा है, इसलिए कुछ घंटे लग सकते हैं । हम आपसे आग्रह करते हैं कि शाम पांच बजे तक यात्रियों की सूची और रूट मैप तैयार रखें ताकि हमें परिचालन में कोई दिक्कत ना आये ।
उसके बाद अपराह्न पौने चार बजे संदीप सिंह की ओर से अवस्थी को भेजे पत्र में कहा गया कि पिछले तीन घंटे से हमारी बसों का बेडा उंचा नांगला यूपी सीमा पर खडा है लेकिन आगरा प्रशासन हमें प्रवेश नहीं करने दे रहा है । हम आपसे पुन: अनुरोध करते हैं कि संवेदनशीलता दिखायें । कृपया हमारी सभी बसों को अनुमति का पत्र भेजें ताकि हम आगे बढ सकें ।
इस बीच उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने टवीट कर कहा कि झूठ बोलकर लोगों को गुमराह करना कांग्रेस पार्टी के डीएनए में है और बस घोटाला कांग्रेस के घोटालों में नयी कड़ी है ।
मौर्य ने कहा कि ''बस घोटाला'' बोफर्स, 2—जी, कोल गेट और राष्ट्रमंडल घोटालों की श्रृंख्ला में नयी कड़ी है । कांग्रेस बसों के नाम पर आटो रिक्शा और मोटरसाइकिलों का ब्यौरा देकर मजदूरों का मजाक बना रही है ।
मौर्य ने एक अन्य टवीट में कहा, “कांग्रेस अपनी ही चाल में फंस गयी है । बसों की सूची में भी घोटाला है।”
प्रदेश के ही उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश सरकार की छवि धूमिल करने का प्रयत्न कर रही है और उसे अपना बर्ताव सुधारना चाहिए ।
उधर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को टवीट कर कहा कि उत्तर प्रदेश की आम जनता हैरत में है कि राज्य सरकार फंसे हुए प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए हजारों बसों का उपयोग क्यों नहीं कर रही है ।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि अगर कांग्रेस के पास 1000 बसें हैं तो उसे उन्हें लखनउ भेज देना चाहिए, जहां बडी संख्या में लोग घर जाने का इंतजार कर रहे हैं ।
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कांग्रेस के मुताबिक बसें राजस्थान -उप्र सीमा पर खड़ी हैं और उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में प्रवेश की अनुमति का इंतजार कर रही हैं।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने 16 मई को पेशकश की थी कि अपने घरों को जा रहे प्रवासी श्रमिकों एवं कामगारों के लिए उत्तर प्रदेश की सीमा पर कांग्रेस 1000 बसें मुहैया कराएगी । इस पेशकश पर उत्तर प्रदेश सरकार के दोपहिया एवं कार के पंजीकरण नंबर वाले दावे ने गतिरोध पैदा कर दिया है ।
कांग्रेस ने शुरूआत में दावा किया था कि राज्य की भाजपा सरकार उसकी पेशकश की अनदेखी कर रही है । और तो और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पार्टी के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात से इंकार कर दिया ।
कोरोना लॉकडाउन के बाद घरों को जा रहे प्रवासी श्रमिकों की स्थिति पर राजनीति करने का आरोप मढ़ने वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने हालांकि सोमवार को औपचारिक रूप से कांग्रेस की पेशकश स्वीकार कर ली । सरकार ने कांग्रेस से कहा कि वह बसों, उसके ड्राइवरों और कंडक्टरों की सूची सौंपे । लेकिन गतिरोध यहीं नहीं दूर हुआ ।
कांग्रेस के मुताबिक प्रियंका गांधी के निजी सचिव द्वारा सोमवार रात 11 बजकर 40 मिनट पर रिसीव किये गये ईमेल में उत्तर प्रदेश सरकार ने कांग्रेस से कहा कि वह मंगलवार दस बजे तक बसों को लखनऊ भेज दे ।
निजी सहायक ने उत्तर प्रदेश सरकार को कहा कि जब हजारों श्रमिक यूपी की सीमाओं पर एकत्र हैं, तो ऐसे में खाली बसें लखनऊ भेजना अमानवीय है और यह गरीब विरोधी मानसिकता का परिचायक है । ''''आपकी सरकार की ये मांग राजनीति से प्रेरित लगती है । ऐसा नहीं लगता कि आपकी सरकार हमारे श्रमिक भाइयों और बहनों, जो आपदा का सामना कर रहे हैं, की मदद करना चाहती है ।''''
इस पर उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव :गृह एवं सूचना: अवनीश कुमार अवस्थी ने जवाब दिया कि बसों को सीमा पर ही लाने की अनुमति दी जाती है । उन्होंने कांग्रेस से कहा कि 19 मई के पत्र में आपने लखनऊ में बसें मुहैया कराने में असमर्थता जतायी है और आप उन्हें गाजियाबाद एवं नोएडा में देना चाहते हैं । अवस्थी ने कांग्रेस से कहा कि वह 500 बसें कौशाम्बी और साहिबाबाद बस स्टैंड पर पहुंचा दें, जहां गाजियाबाद के जिलाधिकारी उन्हें अपने पास ले लेंगे ।
अवस्थी ने कहा कि कांग्रेस 500 बाकी बसें गौतम बुद्ध नगर में एक्सपो मार्ट के निकट लगवा दें और वहां के जिलाधिकारी को सौंप दें।
अवस्थी ने कहा कि जिलाधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं कि वे ड्राइवर एवं कंडक्टर के ड्राइविंग लाइसेंस, पहचान पत्र, परमिट, फिटनेस, बीमा आदि की जांच करने के बाद तत्काल बसों का इस्तेमाल करें । राज्य सरकार ने हालांकि कहा कि जिन 1000 बसों की सूची सौंपी गयी है, उनमें अन्य वाहनों के पंजीकरण नंबर दर्ज हैं । इसके बाद बसों को लेकर विवाद उठ खडा हुआ ।
मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने कहा कि कांग्रेस की ओर से मुहैया करायी गयी सूची में मोटरसाइकिलों, तीन पहिया वाहनों, एक एंबुलेंस और निजी कारों के नंबर हैं । उन्होंने एक एंबुलेंस, एक कार और चार तीनपहिया वाहनों के पंजीकरण नंबर भी बताये ।
उन्होंने बताया कि यह ब्यौरा ''एम परिवहन'' ऐप के जरिए हासिल किया गया है । उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अशोक सिंह ने हालांकि इस दावे का खंडन करते हुए कहा कि 1000 बसें हैं और अगर उत्तर प्रदेश सरकार को कोई संदेह है तो वह राज्य की सीमा पर वाहनों को सामने देखकर उनकी पुष्टि कर सकती है ।
प्रियंका के निजी सचिव संदीप सिंह की ओर से अवस्थी को 19 मई की दोपहर लगभग सवा बारह बजे भेजे एक पत्र में कहा गया कि हमारी कुछ बसें राजस्थान से आ रही हैं और कुछ दिल्ली से । इसके लिए परमिट देने की प्रक्रिया जारी है । बसों की संख्या चूंकि काफी ज्यादा है, इसलिए कुछ घंटे लग सकते हैं । हम आपसे आग्रह करते हैं कि शाम पांच बजे तक यात्रियों की सूची और रूट मैप तैयार रखें ताकि हमें परिचालन में कोई दिक्कत ना आये ।
उसके बाद अपराह्न पौने चार बजे संदीप सिंह की ओर से अवस्थी को भेजे पत्र में कहा गया कि पिछले तीन घंटे से हमारी बसों का बेडा उंचा नांगला यूपी सीमा पर खडा है लेकिन आगरा प्रशासन हमें प्रवेश नहीं करने दे रहा है । हम आपसे पुन: अनुरोध करते हैं कि संवेदनशीलता दिखायें । कृपया हमारी सभी बसों को अनुमति का पत्र भेजें ताकि हम आगे बढ सकें ।
इस बीच उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने टवीट कर कहा कि झूठ बोलकर लोगों को गुमराह करना कांग्रेस पार्टी के डीएनए में है और बस घोटाला कांग्रेस के घोटालों में नयी कड़ी है ।
मौर्य ने कहा कि ''बस घोटाला'' बोफर्स, 2—जी, कोल गेट और राष्ट्रमंडल घोटालों की श्रृंख्ला में नयी कड़ी है । कांग्रेस बसों के नाम पर आटो रिक्शा और मोटरसाइकिलों का ब्यौरा देकर मजदूरों का मजाक बना रही है ।
मौर्य ने एक अन्य टवीट में कहा, “कांग्रेस अपनी ही चाल में फंस गयी है । बसों की सूची में भी घोटाला है।”
प्रदेश के ही उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश सरकार की छवि धूमिल करने का प्रयत्न कर रही है और उसे अपना बर्ताव सुधारना चाहिए ।
उधर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को टवीट कर कहा कि उत्तर प्रदेश की आम जनता हैरत में है कि राज्य सरकार फंसे हुए प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए हजारों बसों का उपयोग क्यों नहीं कर रही है ।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि अगर कांग्रेस के पास 1000 बसें हैं तो उसे उन्हें लखनउ भेज देना चाहिए, जहां बडी संख्या में लोग घर जाने का इंतजार कर रहे हैं ।
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