निजी स्कूलों में जनसूचना अधिकारी नियुक्त करने के आदेश पर रोक
punjabkesari.in Tuesday, Dec 07, 2021 - 09:37 AM (IST)
लखनऊ, छह दिसंबर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत आने वाले प्रदेश के सभी निजी स्कूलों में जन सूचना अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश मुख्य सचिव को देने वाले राज्य सूचना आयोग के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति राकेश श्रीवास्तव व न्यायमूर्ति शमीम अहमद की पीठ ने एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स की ओर से दाखिल एक रिट याचिका पर सुनवायी करते हुए पारित किया।
पीठ ने यह आदेश पूर्व में सिटी मांटेसरी स्कूल की ओर से समान मामले में दाखिल याचिका में पारित किये गये आदेश के मद्देनजर सुनाया है।
दरअसल राज्य सूचना आयोग ने एक अपील की सुनवाई करते हुए मुख्य सचिव को आदेश दिया था कि वह प्रदेश में संचालित सभी निजी स्कूलों को सूचना का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत मांगी गई सूचना उपलब्ध कराने के लिए अपने यहां जनसूचना अधिकारी की नियुक्ति का निर्देश दें।
याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रवि प्रकाश गुप्ता ने दलील दी कि निजी स्कूल राज्य या किसी भी स्थानीय प्राधिकरण से कोई अनुदान या सहायता प्राप्त नहीं कर रहे हैं लिहाजा वे आरटीआई अधिनियम, 2009 के तहत परिभाषित लोक प्राधिकरण की परिभाषा के तहत नहीं आते हैं।
सुनवाई के दौरान अदालत ने याची को राहत देते हुए, उक्त आदेश पर रोक लगा दी है। साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति राकेश श्रीवास्तव व न्यायमूर्ति शमीम अहमद की पीठ ने एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स की ओर से दाखिल एक रिट याचिका पर सुनवायी करते हुए पारित किया।
पीठ ने यह आदेश पूर्व में सिटी मांटेसरी स्कूल की ओर से समान मामले में दाखिल याचिका में पारित किये गये आदेश के मद्देनजर सुनाया है।
दरअसल राज्य सूचना आयोग ने एक अपील की सुनवाई करते हुए मुख्य सचिव को आदेश दिया था कि वह प्रदेश में संचालित सभी निजी स्कूलों को सूचना का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत मांगी गई सूचना उपलब्ध कराने के लिए अपने यहां जनसूचना अधिकारी की नियुक्ति का निर्देश दें।
याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रवि प्रकाश गुप्ता ने दलील दी कि निजी स्कूल राज्य या किसी भी स्थानीय प्राधिकरण से कोई अनुदान या सहायता प्राप्त नहीं कर रहे हैं लिहाजा वे आरटीआई अधिनियम, 2009 के तहत परिभाषित लोक प्राधिकरण की परिभाषा के तहत नहीं आते हैं।
सुनवाई के दौरान अदालत ने याची को राहत देते हुए, उक्त आदेश पर रोक लगा दी है। साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।