मिलावट पर गरमाई सियासत: ''पोस्टर नहीं, आइना लगाइए''... अखिलेश का करारा वार, BJP का तीखा पलटवार
punjabkesari.in Thursday, May 15, 2025 - 01:28 PM (IST)

Lucknow News: उत्तर प्रदेश में खाने-पीने की चीजों में मिलावट के मामलों को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच जबरदस्त सियासी घमासान मचा हुआ है। इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है।
अखिलेश यादव का बीजेपी पर तंज
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गुरुवार सुबह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट करते हुए भाजपा पर हमला बोला। उन्होंने लिखा कि भाजपा वाले मिलावटखोरों को दिखाने के लिए पोस्टर न लगाकर आइना लगाएं। जब वे आइना लगाएंगे तो मिलावटखोर उन्हें खुद दिखाई देंगे। अखिलेश ने यह बयान बीजेपी सरकार की उस पहल पर दिया, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया है कि मिलावटखोरों की तस्वीरें चौराहों पर लगाई जाएं ताकि लोगों को सतर्क किया जा सके।
बीजेपी का जवाब
अखिलेश के इस बयान पर भाजपा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत गौतम ने कहा कि मिलावटखोरी हत्या के बराबर है और अखिलेश यादव मिलावटखोरों का साथ दे रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि सपा सरकार के समय ही मिलावटखोरी और भ्रष्टाचार सबसे ज्यादा हुआ। गौतम ने अखिलेश के बयान को "हताशा और निराशा" का प्रतीक बताया और कहा कि जनता अब सच्चाई जानती है और सपा का साथ नहीं दे रही।
योगी सरकार की सख्ती
हाल ही में उत्तर प्रदेश में दूध, मिठाई, मसालों और तेल जैसी चीजों में मिलावट के कई मामले सामने आए हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को कड़ा एक्शन लेने का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मिलावटखोरों को बिल्कुल बख्शा नहीं जाएगा और उनकी तस्वीरें चौराहों पर लगाई जाएंगी ताकि लोग उन्हें पहचान सकें।
विपक्ष का विरोध
विपक्षी पार्टियां, खासकर सपा, इस कार्रवाई को नाकाफी बता रही हैं। उनका कहना है कि सरकार केवल दिखावे के लिए पोस्टर लगवा रही है जबकि असली कार्रवाई नहीं हो रही। सपा का कहना है कि जनता को असली राहत तभी मिलेगी जब मिलावट करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हो।
पोस्टर वार और बयानबाजी
उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों पोस्टर वार और बयानबाज़ी आम हो गई है। सपा और भाजपा एक-दूसरे पर लगातार हमला कर रहे हैं। अखिलेश यादव के इस बयान को उनके समर्थकों ने सही बताया, वहीं भाजपा ने इसे "सस्ती लोकप्रियता" पाने की कोशिश करार दिया।