कलयुग का 'श्रवण कुमार', नौकरी छोड़ वृद्ध मां को करा रहा देश के सभी मंदिरों के दर्शन....पिता ने उपहार में दिया था स्कूटर
punjabkesari.in Friday, Apr 07, 2023 - 01:22 PM (IST)
चित्रकूट(वीरेंद्र शुक्ला): हिंदू धार्मिक ग्रंथों, वेद शास्त्रों और पुराणों में मातृ पितृ भक्त श्रवण कुमार की कथा सुनने को मिलती है कि किस प्रकार से श्रवण कुमार द्वारा अपने अंधे माता पिता को पालकी पर लेकर पैदल चारों धामों की यात्रा कराई गई थी। वर्तमान में कलयुग चल रहा है। इस युग में जिस समय भारतीय संस्कृति और परंपराएं छिन्न भिन्न दिखाई पड़ती हैं। तभी कुछ लोग समाज के बीच से ऐसे निकलकर सामने आ जातें हैं कि बरबस ही उनके लिए दिलों से दुआएं निकलने लगती हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही कलयुग के श्रवण कुमार से मिलवाने वाले हैं कि उन्हें देखकर आप भी कहेंगे, कि क्या दुनिया में ऐसे लोग भी हैं। कर्नाटक के मैसूर के रहने वाली यह मां बेटे अभी तक संपूर्ण भारत ही नहीं बल्कि म्यांमार नेपाल और भूटान भी स्कूटर से भ्रमण कर चुके हैं। 66720 किलोमीटर की यात्रा कर यह चित्रकूट और बांदा के कालिंजर किले को देखने पहुंचे हैं।
मां के साथ स्कूटर पर सवार होकर कर चुके हैं 66,720 किलोमीटर की यात्रा
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, कर्नाटक मैसूर के रहने वाले कृष्ण कुमार अपनी वृद्ध मां चूड़ारत्ना जिनकी उम्र इस समय 72 वर्ष है। उन्हें अपने पिता द्वारा 20 वर्ष पहले दिए गए स्कूटर पर भारत भ्रमण कराने के लिए निकले हैं। कृष्ण कुमार अभी तक अपनी मां के साथ स्कूटर पर सवार होकर 66 हजार 720 किलो मीटर की यात्रा कर चुके हैं। इस यात्रा में तीन देशों क्रमशः नेपाल,भूटान और म्यांमार की यात्राएं भी शामिल हैं।
कर्नाटक राज्य के मैसूर में 10 लोगों का है संयुक्त परिवार
अपनी वृद्ध मां चूड़ारत्ना के साथ चित्रकूट पहुंचे कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री 42 वर्षीय कृष्ण कुमार से पूछने पर उनके द्वारा बताया गया कि वो एक मल्टी नेशनल कंपनी में टीम लीडर के रूप में कार्यरत थे। उनका कर्नाटक राज्य के मैसूर में 10 लोगों का संयुक्त परिवार है। जिसमें उनकी मां घर के सारे काम करती थी। एक दिन कंपनी से घर आकर मेरे द्वारा कुछ प्रमुख मंदिरों के नाम गिनाते हुए मां से पूछा गया कि मां कभी इन मंदिरों के दर्शन करने गई हो। जिस पर मेरी मां ने कहा कि बेटा मैं आज तक अपने घर के पास वाले मंदिर भी नहीं जा सकी। कृष्ण कुमार बताते हैं कि उन्हें अपनी मां की बात सुनकर बहुत ही दुख हुआ और तभी मेरे मन में अपनी मां को भारत भ्रमण कराने की इच्छा हुई। इसके बाद मैंने मां से कहा कि मां मैं तुझे सारे देश के मंदिरों का दर्शन भ्रमण कराऊंगा।
नौकरी छोड़ मां को करा रहा देश के सभी मंदिरों के दर्शन
आपको बता दें कि इसके बाद कृष्ण कुमार द्वारा नौकरी से त्याग पत्र दे दिया गया और स्वर्गीय पिता के द्वारा 20 साल पहले दिए गए स्कूटर में सवार होकर 16 जनवरी 2018 को मां के साथ भारत भ्रमण प्रारंभ कर दिया गया। यहां यह उल्लेख करना उचित होगा कि मां के सपने को पूरा करने के लिए कृष्ण कुमार द्वारा आजीवन ब्रह्मचारी अथवा अविवाहित रहने का निर्णय ले लिया गया। यह पूछने पर कि आप समाज को खासकर युवाओं को क्या संदेश देना चाहेंगे। इस पर कृष्ण कुमार ने कहा कि माता पिता धरती के भगवान हैं। माता पिता हमें जन्म देते हुए जिस प्रकार हमारा लालन पालन करते हैं,उसी प्रकार से हमें भी अपने माता पिता का वृद्धावस्था में लालन पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ लोग घर में माता पिता की फोटो लगाकर उसे चंदन का टीका लगाते हैं उससे कुछ भी नहीं होने वाला है। हमें कोशिश करनी चाहिए कि जिस प्रकार माता पिता बचपन में हमारा खयाल रखते हैं, वृद्धावस्था में हमें अपने माता पिता का खयाल उसी तरह रखना चाहिए।