लोकसभा चुनाव का छठा चरणः मेनका-इंदू चौधरी समेत 16 महिला प्रत्याशियों की प्रतिष्ठा दांव पर,पूर्वांचल की इन 6 सीटों पर आर-पार का मुकाबला

punjabkesari.in Friday, May 24, 2024 - 08:54 AM (IST)

लखनऊ: लोकसभा चुनाव के छठे चरण में उत्तर प्रदेश की 14 लोकसभा सीटों पर गुरूवार को चुनाव प्रचार समाप्त हो गया। छठे चरण में 14 सीटों पर होने वाले चुनाव में भाजपा से मेनका गांधी, सपा की प्रिया सरोज, बसपा की इंदू चौधरी समेत कुल 16 महिला प्रत्याशी मैदान में हैं। इन सीटों में केवल लालगंज (सु.) है जहां पर तीन महिलाएं आमने-सामने हैं। कई सीटों पर तो महिला प्रत्याशी ही नहीं हैं। लालगंज (सु.) सीट पर भाजपा से पूर्व सांसद नीलम सोनकर व बसपा से प्रोफेसर इंदु चौधरी के सामने निर्दलीय प्रत्याशी सुष्मिता सोनकर चुनाव मैदान में हैं, जबकि सपा ने दरोगा प्रसाद सरोज को चुनाव मैदान में उतारा है। पूर्वांचल में छठे चरण की वे छह सीटें जिन पर आर-पार का मुकाबला हो रहा है..

लालगंज में सात चुनावों में एक बार जीती भाजपा
लालगंज लोकसभा सुरक्षित सीट पर पिछले सात चुनावों में चार बार बसपा दो बार सपा जबकि भाजपा ने सिर्फ एक बार 2014 में जीत दर्ज की है। इससे पहले 2009 में बसपा जीती थी और 2019 में सपा के साथ गठबंधन में जीत हासिल की थी। बसपा की संगीता आजाद को 54.01 तो भाजपा की नीलम सोनकर को 37.19 प्रतिशत मत मिले थे। काग्रेस प्रत्याशी लगभग दो प्रतिशत वोट ही हासिल कर पाया था। 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा ने लालगंज लोकसभा क्षेत्र की सभी पांच विधानसभा सीटें जीत ली थी। इस बार भाजपा ने फिर से नीलम सोनकर पर ही भरोसा जताया है। सपा ने पुराने समाजवादी दरोगा सरोज को चुनाव मैदान में उतारा है, तो बसपा ने डॉ. इंदु चौधरी को अपना प्रत्याशी बनाया है।

जौनपुर में आठ चुनावों में भाजपा तीन बार जीती
जौनपुर सीट पर 1996 से भाजपा और बसपा को तीन-तीन बार जीत मिली है। सपा यहां दो बार जीती है। 2019 के चुनाव में बसपा के श्याम सिंह यादव ने भाजपा के सांसद कृष्ण प्रताप सिंह को 60 हजार मतों से हराया था। कांग्रेस के देवव्रत मिश्रा 27 हजार वोट पाकर तीसरे स्थान पर थे। 2014 में भाजपा के कृष्ण प्रताप सिंह वोटों के बंटवारे से जीत गए थे। उन्हें 3.67 लाख वोट मिले थे। बसपा के सुभाष पांडे को 2.20, सपा के पाररानाथ यादव को 1.80, निर्दलीय धनंजय सिंह को 64 हजार, आप पार्टी के डॉ. केपी यादव को 43 हजार और कांग्रेस के रविकिशन को भी करीब 43 हजार मत मिले थे। इस मर्तबा यहां बसपा से सांसद श्याम सिंह यादव, भाजपा से कृपाशंकर सिंह, सपा से पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा मैदान में है।

आजमगढ़ में बीते नौ चुनावों में दो बार ही खिल पाया कमल
आजमगढ़ लोकसभा पर 1996 से अब तक हुए नौ लोकसभा चुनावों में चार बार सपा, तीन बार बसपा और दो बार भाजपा को जीत मिली है। 2019 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ को 2.60 लाख मतों से हराया था। अखिलेश के इस्तीफा देने पर 2022 में हुए उपचुनाव में भाजपा से दोबारा उतरे निरहुआ आठ हजार वोटों से जीत गए थे। इस चुनाव में सपा के धर्मेंद्र यादव की हार का कारण बसपा प्रत्याशी गुड्डू जमाली को 2.66 लाख वोट मिलना था। इस बार सपा ने धर्मेंद्र यादव, भाजपा ने दिनेश लाल यादव निरहुआ को उतारा है, तो बसपा से मशहूद सबीहा अंसारी चुनाव मैदान में है।

पिछली बार सिर्फ 181 मतों से ही मिली थी जीत
मछलीशहर लोकसभा सीट पर नजर डालें तो तीन दशक के चुनाव में भाजपा ने चार बार, सपा ने दो बार और बसपा ने एक बार जीत हासिल की है। 2019 के चुनाव में यहां दिल की धड़कने रोक देने वाले मुकाबले में बीजेपी के बीपी सरोज ने बीएसपी के त्रिभुवन राम को 181 मतों से हरा दिया था। 2014 में भाजपा से रामचरित्र निषाद वोटों का बंटवारा होने से जीत गए थे। राम चरित्र को 4.38 लाख बसपा के बीपी सरोज को 2.66 लाख, सपा के तूफानी सरोज को 1.91 लाख, कांग्रेस के तुफानी निषाद को 36 हजार और भाकपा के सुभाष चंद्र को 18 हजार से ज्यादा मत मिले थे। इस बार भाजपा से सांसद बीपी सरोज, सपा ने अपने तीन बार के सांसद तूफानी सरोज की पुत्री प्रिया सरोज, बसपा ने पूर्व आईएएस अधिकारी कृपाशंकर सरोज पर दांव लगाया है।

श्रावस्ती में जीत का आधार बना ब्राह्मण कार्ड
श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र ब्राह्मण-मुस्लिम बहुल है। 2008 में बनी इस सीट पर तीन चुनावों में कांग्रेस, भाजपा व बसपा एक-एक बार जीती है। 2019 में बसपा के राम शिरोमणि शर्मा ने भाजपा सांसद दद्दन मिश्रा को 5,320 मतों से हरा दिया था। कांग्रेस के धीरेंद्र प्रताप सिंह 58 हजार मत पाकर तीसरे स्थान पर थे। बसपा ने इस बार मुइनुद्दीन अहमद खान को मैदान में उतारा है। 2014 में जीते भाजपा के दद्दन मिश्रा को मिले 3.45 लाख मतों के मुकाबले सपा के अतीक अहमद को 2.60, बसपा के लालजी वर्मा को 1,94 लाख, पीईसीपी के रिजवान जाहीर को 1.01 लाख वोट मिले थे। इस बार यहां भाजपा ने राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र के पुत्र साकेत मिश्र को उतारा है। सपा से सांसद रामशिरोमणि वर्मा और बसपा से मुइनुद्दीन अहमद हैं।

अंबेडकरनगर में आठ में छह चुनाव बसपा ने जीते
अंबेडकर नगर लोकसभा सीट से बसपा सुप्रीमो मयावती 2019 में बसपा के रितेश पांडेय ने भाजपा के मुकुट बिहारी को 96 हजार मतों से हरा दिया था। इससे पहले 2014 में भाजपा के हरिओम पांडे 4.32 लाख वोट पाकर जीते थे। लेकिन बसपा के राकेश पांडेय को 2.92 लाख, सपा के राममूर्ति वर्मा को 2.34 लाख और कांग्रेस के अशोक सिंह को 23 हजार मत मिले थे। इस बार यहां भाजपा ने बसपा से आए सांसद रितेश पांडेय को उम्मीदवार बनाया है। रितेश के पिता 2009 में बसपा से यहां से सांसद चुने गए थे। 2014 में हार गए थे। बसपा ने जलालपुर नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष कमर हयात तो सपा ने छह बार के विधायक लालजी वर्मा पर भरोसा जताया है।


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Content Writer

Ajay kumar

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