केडीए में फाइल दबाने का इनाम! OSD साफ बचे, लिपिक सस्पेंड... कर्मचारी बोले- OSD अजय कुमार हैं दोषी
punjabkesari.in Saturday, Jul 05, 2025 - 05:40 PM (IST)

Kanpur News, (प्रांजुल मिश्रा): कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) में एक बार फिर वही पुराना फार्मूला चला "छोटा पकड़ा गया, बड़ा बच निकला!" जोन-3 के OSD अजय कुमार पर जब एक भूखंड की रजिस्ट्री के बदले ₹30,000 मांगने का आरोप लगा और शिकायत सीधे जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह के दरबार तक पहुंची, तो निर्देश दिए गए"सात दिन में निष्पक्ष जांच हो और दोषी पर हो कार्रवाई।" कार्रवाई तो हुई, पर किस पर? OSD साहब तो फाइलों में कहीं 'गुम' हो गए और निशाने पर आ गए लिपिक अतुल सोनकर, जिनका नाम शिकायतकर्ता नीरज गुप्ता की चिट्ठी में था ही नहीं। जैसे ही बाबू अतुल सोनकर को निलंबित किया गया, प्राधिकरण के कर्मचारी भड़क उठे। केडीए परिसर में 'न्याय यात्रा' शुरू हुई, नारे लगे, वीसी ऑफिस का घेराव हुआ और कर्मचारियों ने साफ कहा, "गलती ऊपर की और मार नीचे की!"
"यहां गलती करने वाले को कुछ नहीं होता: कर्मचारी नेता दिनेश बाजपेई
OSD अजय कुमार पर जहां गंभीर आरोप लगे हैं, वहीं कार्रवाई सिर्फ इसलिए अतुल सोनकर पर कर दी गई क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर रजिस्ट्री की फाइल छह महीने तक रोक कर रखी। लेकिन कर्मचारी संगठनों की मानें तो "फाइल तभी दबती है जब ऊपर से वजन डाला जाए।" धरने में बैठे कर्मचारी नेता दिनेश बाजपेई ने कहा, "यहां गलती करने वाले को कुछ नहीं होता और फाइल संभालने वाले को सस्पेंशन मिलता है।" लिपिक अतुल सोनकर ने बखूबी फाइल को आगे बढ़ाया इस मामले में दोषी OSD अजय कुमार हैं न कि अतुल सोनकर...। अब सवाल ये है कि निष्पक्ष जांच के नाम पर सिर्फ कमजोर कंधों पर ही बोझ क्यों डाला जा रहा है? जांच निष्पक्ष हुई या दिखावटी, ये तो समय बताएगा... लेकिन फिलहाल OSD साहब आराम से अपने कमरे में हैं और क्लर्क साहब सस्पेंशन लेटर के साथ बाहर। हाल ही में बर्रा के हरदेव नगर में स्कूल की निर्माणाधीन बिल्डिंग ढहने की जांच खुद OSD अजय कुमार को सौंपी गई है!
मतलब जिस अधिकारी पर खुद भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, वो अब बिल्डिंग गिरने जैसे गंभीर हादसे की निष्पक्ष जांच करेंगे! “केडीए में अब जांच वही करता है जो जांच के घेरे में होता है। सच को पर्दे में रखना हो तो सबसे अच्छा तरीका है, उसे ही जांच अधिकारी बना दो।” बहरहाल देखने वाली बात यह होगी कि कर्मचारी बनाम ओएसडी का संघर्ष कहां जाकर खत्म होता है।