संस्कृत दिव्य ज्ञान की भाषा है, जिसमें आध्यात्मिक ज्ञान के साथ भाव भी चाहिए तभी विश्व कल्याण का रास्ता निकलेगाः सीएम योगी
punjabkesari.in Monday, Oct 06, 2025 - 03:16 PM (IST)

वाराणसी: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आने वाले समय में दुनिया को जोड़ने वाली भाषा संस्कृत ही होगी। उन्होंने कहा कि संस्कृत के उत्थान के लिए सरकार छात्रवृत्ति और उच्च स्तर पर शोध के लिए लगातार कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ अपने दो दिवसीय दौरे के पहले दिन सोमवार को वाराणसी के शिवपुर स्थित अन्नपूर्णा ऋषिकुल ब्रह्मचर्याश्रम संस्कृत महाविद्यालय में काशी अन्नपूर्णा अन्न क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा संचालित सिलाई-कढ़ाई एवं कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र के 14वें सत्रांत के अवसर पर बोल रहे थे। इस दौरान मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने लगभग 250 बालक-बालिकाओं को सिलाई मशीन, लैपटॉप एवं प्रमाण पत्र भी वितरित किये।
'दुनिया को जोड़ने वाली भाषा संस्कृत ही होगी'
सीएम योगी ने इस अवसर पर कहा कि दुनिया का पहला विश्वविद्यालय तक्षशिला भी भारत की ही देन है। उन्होंने कहा कि महाज्ञानी पाणिनि उसी के छात्र थे, जिनका व्याकरण हमें देखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने दुनिया का पहला संस्कृत महाकाव्य रचा था और आने वाले समय में दुनिया को जोड़ने वाली भाषा संस्कृत ही होगी। उन्होंने कहा कि संस्कृत दिव्य ज्ञान की भाषा है जिसमें आध्यात्मिक ज्ञान के साथ भाव भी चाहिए तभी विश्व कल्याण का रास्ता निकलेगा। उन्होंने कार्यक्रम के भव्य आयोजन के लिए अन्नपूर्णा आश्रम के महंत शंकर पुरी को धन्यवाद दिया।
'गौसेवा भी बहुत अच्छी तरह की जा रही है'
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि यह मठ देव वाणी संस्कृत के लिए भी लगातार कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि अन्नपूर्णा मंदिर के संस्कृत महाविद्यालय के बच्चे सभी कार्यक्रमों में वैदिक मंत्रोच्चार करके माहौल को आध्यात्मिक बना देते हैं। उन्होंने कहा कि यहां गौसेवा भी बहुत अच्छी तरह की जा रही है। उन्होंने कहा कि भारत की यही संस्कृति रही जिस पद्धति को ये मठ बहुत तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं। आदित्यनाथ ने कहा कि उनकी सरकार ने संस्कृत के उत्थान के लिए अनेक कार्यक्रम संचालित किये हैं जिनमें छात्रवृत्ति, विद्यार्थियों के रहने-खाने की व्यवस्था और उच्च स्तर पर शोध के लिए लगातार काम शामिल है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में संचालित मिशन शक्ति कार्यक्रम में सिलाई-कढ़ाई प्रशिक्षण का यह कार्यक्रम जुड़कर नारियों के स्वावलंबन के प्रति श्रद्धा और सम्मान का भाव प्रस्तुत करता है।