सीट का गम या 2027 की बार्गेनिंग? तेजस्वी की तारीफ़, BJP पर तंज… OP राजभर के संकेत किस ओर
punjabkesari.in Friday, Nov 14, 2025 - 03:31 PM (IST)
UP Politics: पूर्वांचल की राजनीति में ओम प्रकाश राजभर अचानक से सुर्खियों के केंद्र में आ गए हैं। योगी सरकार में मंत्री रहते हुए भी उनके बयान और राजनीतिक संकेत लगातार नए सवाल खड़े कर रहे हैं। क्या राजभर बिहार की राजनीति में हस्तक्षेप कर रहे हैं या असल निशाना 2027 का उत्तर प्रदेश है?
बिहार बहाना, निशाना यूपी?
सूत्रों का दावा है कि बिहार चुनाव से पहले OP राजभर ने NDA से 25–30 सीटों की मांग की थी। बात नहीं बनी, और अब वही सीटें उनके लिए ‘प्रतिष्ठा’ का मुद्दा बन चुकी हैं। चुनाव में वे 27 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार चुके हैं और खुले मंच से NDA को हराने की बात कर रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में इसे एक संदेश की तरह देखा जा रहा है राजभर को हल्के में न लिया जाए। वे खेल बिगाड़ भी सकते हैं और जोड़ भी सकते हैं।
तेजस्वी यादव की तारीफ़ रणनीति या समीकरण?
OP राजभर का तेजस्वी यादव के प्रति झुकाव नया नहीं है। लेकिन इस बार वे सार्वजनिक रूप से दावा कर रहे हैं कि “अगर वोटिंग ज़्यादा होती है तो तेजस्वी की सरकार बनेगी।” जानकारों का मानना है कि बिहार में उनकी सक्रियता का असली मकसद पूर्वांचल की राजनीति में अपने वजन को बढ़ाना है। घोसी, मऊ, बलिया, गाजीपुर और आज़मगढ़ जैसे इलाकों में राजभर समाज लगभग 20 सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाता है। यानी वक्त पर राजभर की दिशा बदले, तो समीकरण भी बदल सकते हैं।
2019 वाली स्क्रिप्ट, एक बार फिर?
2019 में BJP से अलगाव, 2022 में वापसी और अब फिर वही तेवर—राजभर का राजनीतिक ट्रैक रिकॉर्ड दिखाता है कि वे दबाव की राजनीति में माहिर हैं। इस बार उनकी मांगें और बड़ी हैं, OBC कोटे में अति-पिछड़ों का हिस्सा बढ़ाने की गारंटी, 2027 में 20–25 विधानसभा सीटों पर समझौता, डिप्टी CM या राज्यसभा सीट जैसा पावर पैकेज।
बिहार में 68% वोटिंग से UP में हलचल
बिहार में रिकॉर्ड 68% मतदान ने पार्टियों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। राजभर का बयान कि “उच्च मतदान मतलब RJD की जीत” सिर्फ बिहारियों के लिए संदेश नहीं था—यह पूर्वांचल तक समझा गया। अगर बिहार में NDA की स्थिति कमजोर दिखती है, तो उसका सीधा मनोवैज्ञानिक असर यूपी की राजनीति पर पड़ सकता है।
अब आगे की राह?
सूत्र बताते हैं कि अगर BJP ने 2026 के भीतर राजभर की शर्तों पर चर्चा नहीं की, तो वे NDA से दूरी बना सकते हैं। उधर अखिलेश यादव पहले ही संकेत दे चुके हैं कि SP का दरवाज़ा बंद नहीं है। ऐसे में साफ है, राजभर ने 2027 की पिच अभी से तैयार कर ली है। सवाल बस इतना है कि यह ‘सीट का गम’ है या नई डील की तैयारी?

