UP बोर्ड में वीर सावरकर का पाठ्यक्रम शामिल करने पर भड़के सपा नेता, कहा- सावरकर का इतिहास पढ़ाना हजारों क्रांतिकारियों का अपमान
punjabkesari.in Saturday, Jun 24, 2023 - 01:40 PM (IST)

Lucknow News: कांग्रेस के बाद अब समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता सुनील सिंह साजन ने विनायक दामोदर सावरकर को माध्यमिक पाठ्यक्रम में शामिल करने पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया है कि वह अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करें। उन्होंने कहा कि वह देश के नौजवानों को किसका इतिहास पढ़ाना चाहते हैं, जिसने अंग्रेजों से माफी मांगी थी और अंग्रेजी हुकूमत के लिए काम करने की कसमें खाई थी।
सरकार से अपने इस फैसले पर करें पुनर्विचार- सुनील सिंह
सपा नेता सुनील सिंह साजन ने सावरकर को माध्यमिक पाठ्यक्रम में शामिल करने पर एतराज जताते हुए कहा कि मैं एक बार सरकार से अनुरोध करूंगा कि इस फैसले पर पुनर्विचार करें, आखिर वह इस देश के नौजवानों को किसका इतिहास पढ़ाना चाहते हैं, जिसने सार्वजनिक रूप से अंग्रेजों से माफी मांगी थी, जिसने कसमें और सौगंध खाई थी कि वह अंग्रेजी हुकूमत के लिए काम करेंगे। क्रांतिकारियों की मुखबिरी करने का सावरकर पर आरोप था, ऐसे में वीर सावरकर का इतिहास पढ़ाना कितना सही है?
'सावरकर का इतिहास पढ़ाना हजारों क्रांतिकारियों का अपमान है'
सपा नेता ने आगे कहा कि अगर सरकार सावरकर का इतिहास पढ़ाएंगी की तो भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, अब्दुल हमीद और लाला लाजपत राय का इतिहास कौन पढ़ाएगा। वीर सावरकर का इतिहास पढ़ाना हजारों क्रांतिकारियों का अपमान है, जिन्होंने फांसी के फंदे को चूमा था, आजादी के लिए सीने पर गोली खाई थी। ऐसे क्रांतिकारियों का अपमान करके अगर माफ़ी मांगने वाले वीर सावरकर को सरकार आदर्श बनाना चाहती है तो इसका जवाब देश की जनता भाजपा को देगी।
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UP बोर्ड में शामिल हुई वीर सावरकर समेत 50 महापुरुषों की जीवन गाथा
बता दें कि उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने अपने पाठ्यक्रम में एक अहम बदलाव किया है। यूपी बोर्ड के छात्र-छात्राएं अब विनायक दामोदर सावरकर समेत 50 महापुरुषों की जीवन गाथा पढ़ेंगे। छात्र सावरकर के अलावा पंडित दीनदयाल उपाध्याय, महावीर जैन, भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय, अरविंद घोष, राजा राममोहन राय, सरोजनी नायडू और नाना साहब की जीवन गाथा पढ़ेंगे। इन महापुरुषों के नामों को लेकर यूपी बोर्ड में लंबे समय से कवायद चल रही थी। इस विषय विशेषज्ञों की ओर से महापुरुषों के नाम की सूची शासन को भेजी गई थी, जिस पर अब शासन की भी मुहर लग गई है।