सैनिटरी पैड की फोटो मांगने पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, पीरियड्स का मांगा गया था सबूत, शर्मनाक घटना ने सभी को झकझोरा; रोक के लिए बनेंगे कड़े नियम

punjabkesari.in Saturday, Nov 29, 2025 - 07:52 PM (IST)

UP Desk : सुप्रीम कोर्ट ने मासिक धर्म से जुड़े अपमानजनक व्यवहार यानी पीरियड शेमिंग को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने महिलाओं और लड़कियों की गरिमा, निजता और स्वास्थ्य अधिकारों की रक्षा के लिए पूरे देश में बाध्यकारी दिशा-निर्देश (गाइडलाइन) बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। इस मुद्दे पर कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब भी तलब किया है।

रोहतक की घटना ने झकझोरा
हरियाणा के रोहतक स्थित महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी में तीन महिला सफाई कर्मचारियों को मासिक धर्म की छुट्टी लेने के लिए इस्तेमाल किए हुए सैनिटरी पैड की फोटो व्हाट्सएप पर भेजने के लिए मजबूर किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इसे “शर्मनाक, अमानवीय और बुनियादी मानवीय गरिमा का उल्लंघन” बताया।

जस्टिस नागरत्ना- “घिनौनी जांच की क्या जरूरत?” 
जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की अवकाशकालीन बेंच ने इस व्यवहार पर गहरी नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा, “अगर कोई महिला मासिक धर्म में है और भारी काम नहीं कर सकती, तो काम किसी और कर्मचारी को दे दिया जाए। इस तरह की घिनौनी जांच की क्या आवश्यकता है?” बेंच ने कहा कि ऐसे मामले समाज की पिछड़ी और अपमानजनक मानसिकता को उजागर करते हैं।

केंद्र सरकार को नोटिस
SCBA (Supreme Court Bar Association) की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। याचिका में मांग की गई है कि देशभर में एकसमान और बाध्यकारी गाइडलाइन बने स्कूल, कॉलेज, हॉस्टल, कारखानों और कार्यस्थलों पर पीरियड जांच के नाम पर महिलाओं को अपमानित करने की प्रथा खत्म हो, महिलाओं के मौलिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित हो। 

देशभर में बढ़ रहे ऐसे मामले
याचिका में बताया गया कि हरियाणा की घटना कोई अकेला मामला नहीं है। देश के कई राज्यों में, खासकर असंगठित क्षेत्रों की महिला कर्मचारियों के साथ इस तरह की अपमानजनक स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। कोर्ट ने कहा कि ये प्रथाएं संविधान के अनुच्छेद 21 यानी जीवन, गरिमा, निजता और शारीरिक अखंडता के अधिकार - का सीधा उल्लंघन हैं।

हरियाणा सरकार ने दी कार्रवाई की जानकारी
सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार ने बताया कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है। दो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है। कोर्ट ने SCBA की पहल की सराहना करते हुए कहा कि इस याचिका से देशभर में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद है। 

आने वाले समय में महत्वपूर्ण फैसला संभव
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई गाइडलाइन भविष्य में- सभी शिक्षण संस्थानों, हॉस्टल, फैक्टरियों, निजी और सरकारी कार्यस्थलों पर बाध्यकारी होंगी। यह फैसला महिलाओं की गरिमा की रक्षा और पीरियड शेमिंग रोकने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।


 


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Content Editor

Purnima Singh

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