लॉकडाउन में टूटी मंदिर प्रशासन की कमर, कर्मचारियों के वेतन व खर्च के लिए तोड़ना पड़ा FD

punjabkesari.in Monday, Sep 21, 2020 - 10:38 AM (IST)

लखनऊः कोरोना संकट के मद्देनजर लागू हुए लॉकडाउन ने मंदिर प्रशासन की कमर तोड़ कर रख दी है। लॉकडाउन और उसके बाद अनलॉक के तहत श्रद्धालुओं की संख्या सीमित होने का असर मंदिरों के दान और चढ़ावे पर पड़ा है। आय में कमी होने से दक्षिण भारतीय राज्यों के मंदिरों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के कई प्रसिद्ध मंदिरों की हालत भी खराब है।

बता दें कि काशी विश्वनाथ, झारखंड के बाबा वैद्यनाथ और पटना के महावीर मंदिर की आर्थिक हालत भी ठीक नहीं है। मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर में कर्मचारियों को वेतन देने के लिए एफडी तक तुड़वानी पड़ी। सोने को बैंक में जमाकर ब्याज से कर्मचारियों के वेतन और रखरखाव की व्यवस्था कर रहे हैं।

काशी विश्वनाथ मंदिर: काशी विश्वनाथ मंदिर की आय बढ़ाने के लिए सावन में आरती के टिकटों की कीमत बढ़ा दी गई थी। ऑनलाइन रुद्राभिषेक की शुरुआत की गई है।

द्वारकाधीश मंदिर: द्वारकाधीश मंदिर में प्रबंधन ने एफडी तुड़वाकर 65 कर्मियों को वेतन दिया। हालांकि कुछ को आधा व कुछ को 75% वेतन मिला। श्री कृष्ण जन्मस्थान के करीब 150 कर्मियों को प्रबंधन ने जमा राशि से वेतन भुगतान किया।

महावीर मंदिर: पटना के महावीर मंदिर को तीन माध्यमों कर्मकांड, चढ़ावा, नैवेद्यम से आय होती है। लेकिन लॉकडाउन में आय नहीं हुई। मंदिर खुलने के बाद अब  प्रसिद्ध प्रसाद नैवेद्यम (लड्डू) की बिक्री एक लाख से घटकर 40 हजार पर आ गई है।

बाबा वैद्यनाथ: झारखंड के देवघर स्थित बाबा वैद्यनाथ मंदिर का वेतन और अन्य खर्चों का काम अभी तक जमा पूंजी से चल रहा है। अभी सोना बैंक में रखने की नौबत तो नहीं आई है। मगर भक्तों से दान की अपील की जा रही है।

केरल में सबरीमला समेत 1248 मंदिरों का प्रबंधन करने वाले त्रावणकोर देवास्वम बोर्ड सोने का भंडार बैंक में जमा कराया है। ट्रस्ट वेतन और अन्य मदों पर हर माह 50 करोड़ रुपये खर्च करता है। पांच महीनों में बोर्ड को 300 करोड़ रुपये का झटका लगा है। तिरुमला तिरुपति देवास्थानम भी इस पर विचार कर रहा है। करीब एक लाख करोड़ मूल्य के स्वर्ण भंडार वाले पद्मनाभस्वामी मंदिर को हर माह दो माह करोड़ रुपये की आय होती थी, जिसमें 1.25 करोड़ रुपये वेतन खर्च है।

उत्तराखंड के बड़े मंदिरों को हर साल करीब 55 करोड़ से अधिक का दान मिलता था जो घटकर महज एक करोड़ रुपये यानी दो फीसदी रह गया है।

 

 


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Moulshree Tripathi

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