बिहार की हार से सपा को लेना होगा बड़ा सबक, यूपी चुनाव से पहले कांग्रेस गठबंधन पर Akhilesh को करना पड़ेगा मंथन
punjabkesari.in Saturday, Nov 15, 2025 - 03:42 PM (IST)
लखनऊ: बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा, जिसका असर अब उत्तर प्रदेश की राजनीति पर भी पड़ता दिख रहा है। समाजवादी पार्टी के भीतर से ही आवाज उठने लगी है कि सपा को इस हार से सबक लेते हुए अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना चाहिए। एक ओर भाजपा की चुनावी रणनीतियों को समझना होगा, तो दूसरी ओर कांग्रेस से गठजोड़ पर भी गंभीर मंथन जरूरी हो गया है।
अखिलेश ने बिहार में हार को बताया “एसआईआर” का मुख्य कारण
हालांकि सपा नेतृत्व ने बिहार की हार के लिए “एसआईआर” के बयान को प्रमुख कारण बताया है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि केवल एक बयान भर से महागठबंधन की हार को जोड़ना उचित नहीं। लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर संजय गुप्ता का कहना है कि भाजपा “डबल स्ट्रेटजी” पर काम कर रही है। पहला—कल्याणकारी योजनाओं का व्यापक प्रचार, और दूसरा—विपक्ष पर कानून-व्यवस्था को लेकर लगातार प्रहार। उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए सपा को दोनों मोर्चों पर अपनी रणनीति मजबूत करनी होगी।
कई राज्यों में जनाधार खो चुकी है कांग्रेस
विशेषज्ञों का मानना है कि सपा को खुलकर यह संदेश देना होगा कि “जो कानून के साथ हैं, पार्टी उनके साथ है।” बिहार में भाजपा ने लालू-राज की अराजक यादें जोड़कर जनता को महागठबंधन के खिलाफ खड़ा कर दिया, वहीं कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे पर भी स्थिति बेहद असहज रही। कई विश्लेषकों का दावा है कि कांग्रेस अब कई राज्यों में संगठन और जनाधार दोनों ही कमजोर कर चुकी है। बिहार के नतीजे इस बात को एक बार फिर साबित करते हैं।
लोकसभा चुनाव में सपा ने 37 सीटें जीतकर बनी थी मजबूत पार्टी
हालांकि लोकसभा चुनाव 2024 में समाजवादी पार्टी (सपा) ने उत्तर प्रदेश में शानदार प्रदर्शन किया और कुल 37 सीटें जीतकर राज्य की सबसे मजबूत विपक्षी पार्टी के रूप में उभरी। यह पार्टी अब तक सबसे बेस्ट प्रदर्शन रहा है। कांग्रेस गठबंधन के साथ पार्टी ने कुल 62 सीटों पर दावेदारी की थी, और इनमें से 38 पर आगे चल रही थी, जिससे उसकी स्ट्राइक रेट भी काफी प्रभावशाली रही। यह चुनाव सपा प्रमुख अखिलेश यादव के लिए बहुत महत्वपूर्ण था, क्योंकि पार्टी लंबे समय बाद एक झटका देकर भाजपा को टक्कर देने में कामयाब रही।
अखिलेश ने 25 सीटों पर प्रचार किया, 4 सीटों पर मिली जीत
हालांकि बिहार चुनाव में अखिलेश यादव ने बिहार में आठ दिनों तक 25 सीटों पर प्रचार किया, जिसमें से केवल 4 सीटों पर ही राजद को जीत मिली। संयोग ये भी रहा कि राजद ने कुल 25 सीटें जीतीं और अखिलेश ने भी इतनी ही सीटों पर प्रचार किया, लेकिन दोनों की सूची में सिर्फ चार सीटें ही समान थीं। तो ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या पार्टी 2027 के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस के साथ चुनाव मिलकर लड़ती है तो इसका फायदा होगा या फिर बिहार विधान सभा चुनाव की तरह बीजेपी सत्ता में वापसी की हैट्रिक लगाती है। फिलहाल सामजवादी पार्टी पर रामभक्तों पर गोलियां चलवाने, मायावती के साथ गेस्ट हाऊस कांड जैसे तमाम मुद्दों को लेकर बीजेपी जमीन पर उतरेगी। हालांकि अब देखना होगा कि अखिलेश यादव इन सब मुद्दों से कैसे आगे निकते हैं।

