गुरु को जगाने के लिए शिष्या ने ली समाधि: 10 दिन से सिर्फ चल रही हैं धड़कने, जानिए आशुतोष महाराज की कौन है वह शिष्या
punjabkesari.in Tuesday, Feb 06, 2024 - 07:41 PM (IST)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के आनंद आश्रम में साध्वी गुरु मां आशुतोषाम्वरी ने अपने गुरु को जिंदा वापस लाने के लिए समाधि ले ली है। एक हप्ते बीत जाने के बाद भी सेवादारो को उम्मीद है कि साध्वी गुरु मां आशुतोषाम्वरी अपने गुरु को वापस लाने तक समाधि में रहेंगी। सेवादारों ने बताया कि साध्वी गुरु मां आशुतोषाम्वरी ने 28 जनवरी 2024 को समाधि ली है। हालांकि डॉक्टरों की टीम ने बताया कि सिर्फ उनकी धड़कने चल रही है।
आप को बता दें कि दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक संत आशुतोष का जन्म 1946 को मधुबनी जिले के लखनपुर में एक हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था। आशुतोष ने अपने पारिवारिक पद को एक सतगुरु या पूर्ण गुरु की खोज में जर्मनी से मास्टर्स पूरा करने के लिए छोड़ दिया ताकि आत्म-प्राप्ति हो सके। ऐसा माना जाता है कि वे हिमालय, वाराणसी में कई गुरुओं से मिलने गए थे।
कुछ लोग मानते हैं आशुतोष महाराज 29 जनवरी 2014 को इस दुनिया को अलविदा कर गए। लेकिन उनके अनुयायी मानते हैं कि वे जीवित हैं और समाधि या गहरी ध्यान की अवस्था में हैं। 1 दिसंबर 2014 तक उनके शरीर को डीजेजेएस के प्रबंधन द्वारा एक फ्रीजर में रखा गया है, इस दृढ़ विश्वास के साथ कि वे ध्यान से बाहर आएंगे। हालांकि डॉक्टर इससे अंधविश्वास मानते है।
शिष्यों का मानना है कि समाधि में जाने से पहले उन्होंने अपने शिष्यों से कहा था कि वह दोबारा इसी शरीर में लौटेंगे। इस आदेश का पालन करने से उनके भक्तों का शरीर आज भी सुरक्षित है। गुरु के समाधि में लीन होने के बाद अब 28 जनवरी को पूरे दस साल बाद उनकी शिष्या साध्वी आशुतोषाम्वरी ने समाधि ले ली है।