देवता का श्राप या चमत्कार? 13 बार सांप ने डसा, फिर भी मौत को मात! झांसी के सीताराम की 39 साल पुरानी रहस्यमयी कहानी
punjabkesari.in Thursday, Sep 11, 2025 - 07:09 AM (IST)

Jhansi News: उत्तर प्रदेश में झांसी जिले के चिरगांव थाना क्षेत्र के पट्टी कुमर्रा गांव में रहने वाले 70 वर्षीय सीताराम अहिरवार का मामला इन दिनों पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है। वजह है – उन्हें हर तीन साल में एक काला सांप डसता है, और अब तक 13 बार ऐसा हो चुका है, लेकिन हर बार उनकी जान बच जाती है।
39 साल पहले शुरू हुआ सिलसिला
परिवार वालों के मुताबिक, जब सीताराम की उम्र करीब 40-42 साल थी, तब वह खेत में काम कर रहे थे, तभी उन्हें पहली बार सांप ने डसा। गांव वाले उन्हें तुरंत पास के खेरापति मंदिर ले गए, जहां झाड़फूंक करवाई गई और उनकी जान बच गई। इसके बाद से यह अजीब सिलसिला शुरू हो गया।
हर तीन साल में एक ही महीना, एक ही सपना
गांव वालों का कहना है कि हर तीन साल में 'भादों' महीने के दौरान ही सांप काटता है। खास बात यह है कि सांप डसने से 2 दिन पहले सीताराम को सपना आता है, जिसमें वह देखता है कि एक सांप उसे काटने वाला है। वे कोशिश करते हैं बचने की, लेकिन फिर भी सांप आ ही जाता है और काट लेता है।
सिर्फ सीताराम को ही डसता है सांप
हैरान करने वाली बात ये है कि वह सांप सिर्फ सीताराम को ही डसता है, परिवार के किसी और सदस्य को कभी नहीं। झाड़फूंक करने वाले कमलेश का कहना है कि हर बार सांप काला ही होता है, और तब तक पता नहीं चलता जब तक कि सीताराम को बेहोशी की हालत में लाकर उनके सामने नहीं रखा जाता।
झाड़फूंक से हर बार बचती है जान
हर बार जब सांप काटता है, तो सीताराम को झाड़फूंक के बाद खेरापति मंदिर ले जाया जाता है, जहां विशेष पूजा और बंधन काटने की प्रक्रिया की जाती है। कई ग्रामीणों का मानना है कि ये कोई दैवी शक्ति हो सकती है, या फिर किसी पुराने पाप या गड़े धन से जुड़ी कोई रहस्यमयी बात।
हाल ही में सांप ने डसा, फिर भी सुरक्षित
हाल ही में भी सीताराम को एक बार फिर काले सांप ने डस लिया, लेकिन इस बार भी वे सही सलामत हैं। इस घटना ने एक बार फिर पूरे इलाके में चर्चा और कौतूहल बढ़ा दिया है।
ग्रामीणों की मान्यता
गांव के बुजुर्गों का कहना है कि यह मामला साधारण नहीं है। कुछ लोग इसे सांप-देवता से जुड़ा चमत्कार मानते हैं तो कुछ लोग अतीत के किसी रहस्य का नतीजा बताते हैं। गांव के लोग आज भी मानते हैं कि सीताराम की जान सिर्फ झाड़फूंक और मंदिर की शक्ति से बचती है।