गाजीपुर स्कूल का सच: बच्चे नहीं बता पाए PM-CM का नाम… 4 में से 3 शिक्षक गायब, निरीक्षण में खुली शिक्षा व्यवस्था की पोल

punjabkesari.in Tuesday, Nov 04, 2025 - 07:33 PM (IST)

Ghazipur News: उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में सरकारी शिक्षा व्यवस्था की हकीकत एक बार फिर उजागर हो गई। राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष चारु चौधरी के आकस्मिक निरीक्षण के दौरान बच्चों से जब उन्होंने पूछा, “देश के प्रधानमंत्री का नाम बताओ”, तो पूरा कक्षा कमरा खामोश हो गया। न कोई प्रधानमंत्री का नाम बता सका, न मुख्यमंत्री का, न ही राज्यपाल का।
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एक ही कमरे में 1 से 5 तक की क्लास, 4 में से 3 शिक्षक गायब
यह पूरा मामला कोतवाली क्षेत्र स्थित फॉक्सगंज प्राथमिक विद्यालय का है। निरीक्षण के दौरान यह देखकर चारु चौधरी दंग रह गईं कि एक ही कमरे में कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को पढ़ाया जा रहा था। स्कूल में कुल चार शिक्षक तैनात हैं, मगर उस दिन तीन छुट्टी पर थे। केवल एक शिक्षक ही सभी कक्षाओं को संभाल रहे थे।
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12 छात्र मौजूद, लेकिन रजिस्टर में 50 की हाज़िरी
जब चारु चौधरी ने हाज़िरी रजिस्टर देखा तो पाया कि करीब 50 से 60 छात्रों के नाम उपस्थित (Present) दर्ज थे, जबकि कक्षा में केवल 12 छात्र मौजूद थे। उन्होंने तत्काल मौके पर मौजूद शिक्षक को फटकार लगाई और फोन पर बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) को रिपोर्ट देने के निर्देश दिए।

शिक्षा विभाग पर उठे सवाल
चारु चौधरी ने निरीक्षण के दौरान BSA उपासना रानी वर्मा से फोन पर बात कर मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी। उन्होंने कहा कि यदि बच्चों को प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री तक का नाम नहीं पता, तो यह शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। चारु चौधरी ने कहा कि यह स्थिति दिखाती है कि विद्यालयों के मर्जर और सुधार योजनाओं के बावजूद जमीनी हालात नहीं बदले हैं।

आंगनबाड़ी केंद्र में भी दिखी लापरवाही
इसके बाद वे समीप स्थित आंगनबाड़ी केंद्र भी पहुंचीं, जहां बच्चों की संख्या बेहद कम पाई गई। चारु चौधरी ने वहां की व्यवस्था पर नाराजगी जताई, हालांकि नियोजित कार्यक्रम के अनुसार उन्होंने अन्नप्राशन और गोदभराई समारोह भी संपन्न कराया।

शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल
गाजीपुर का यह मामला बताता है कि राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही “गुणवत्ता शिक्षा मिशन” के बावजूद ग्रामीण विद्यालयों में उपस्थिति और अध्यापन दोनों ही कमजोर हैं। बच्चों की अज्ञानता और शिक्षकों की अनुपस्थिति ने फिर साबित कर दिया कि सिस्टम की खामोशी ही सबसे बड़ी परीक्षा में फेल है।


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Content Editor

Mamta Yadav

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