''मनमोहन सिंह की अंत्येष्टि को लेकर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए'', अखिलेश और मायावती ने दी सलाह
punjabkesari.in Saturday, Dec 28, 2024 - 10:44 AM (IST)
लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के अंत्येष्टि स्थल और स्मारक के चयन को लेकर केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि इस मामले में कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। गृह मंत्रालय ने कहा था कि सिंह का अंतिम संस्कार शनिवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ नयी दिल्ली के निगमबोध घाट पर पूर्वाह्न 11 बजकर 45 मिनट किया जाएगा। राजनीतिक दलों ने इसके बाद ही हमले करने शुरू कर दिए।
देश के पूर्व प्रधानमंत्री जी की समाधि के संदर्भ में सम्मान की परंपरा का निर्वहन होना चाहिए। न इस विषय पर किसी राजनीति की आवश्यकता है, न होनी चाहिए। डॉ. मनमोहन सिंह जी की समाधि राजघाट पर ही बननी चाहिए।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) December 27, 2024
भाजपा अपनी संकीर्ण सोच का अनुचित उदाहरण प्रस्तुत न करे। इतिहास भाजपा को उसके…
'इस विषय पर न किसी राजनीति की आवश्यकता है'
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने शुक्रवार देर रात सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर लिखा, ‘‘देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की समाधि के संदर्भ में सम्मान की परंपरा का निर्वहन होना चाहिए। इस विषय पर न किसी राजनीति की आवश्यकता है, न होनी चाहिए।'' यादव ने कहा, ‘‘डॉ. मनमोहन सिंह जी की समाधि राजघाट पर ही बननी चाहिए। भाजपा अपनी संकीर्ण सोच का अनुचित उदाहरण प्रस्तुत न करे। इतिहास भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) को उसके इस नकारात्मक नजरिये के लिए कभी माफ नहीं करेगा।''
1. केन्द्र सरकार देश के पहले सिख प्रधानमंत्री रहे डा. मनमोहन सिंह के देहान्त होने पर उनका अन्तिम संस्कार वहाँ कराये तथा उनके सम्मान में भी स्मारक आदि वहीं बनवाये जहाँ उनके परिवार की दिली इच्छा है। (1/2)
— Mayawati (@Mayawati) December 28, 2024
'कोई राजनीति करना ठीक नहीं है'
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी 'एक्स' पर एक ‘पोस्ट' के जरिए नसीहत देते हुए कहा कि ''केंद्र सरकार को देश के पहले सिख प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार उसी स्थान पर करना चाहिए और उनके सम्मान में उसी स्थान पर स्मारक बनवाना चाहिए जहां उनके परिवार की दिली इच्छा है। मायावती ने कहा, ‘‘इसके लिए कोई राजनीति करना ठीक नहीं है और इन मामलों में यदि केंद्र सरकार उनके परिवार एवं सिख समाज की भी भावनाओं का सम्मान करती है तो यह उचित होगा।''