'तिरुपति बालाजी के प्रसाद में मिलावट करोड़ों सनातन धर्मियों की आस्था से खिलवाड़', अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने अखिलेश के बयान पर किया तीखा प्रहार
punjabkesari.in Saturday, Sep 21, 2024 - 05:29 PM (IST)
Ayodhya News, (संजीव आजाद): ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती शनिवार को राम नगरी अयोध्या पहुंचे। जहां उन्होंने c के आरंभ की घोषणा की है। प्रेस वार्ता के दौरान अखिलेश यादव के संतों, धर्माचार्यों को लेकर दिये बयान पर कहा कि, जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी। वहीं दूसरी तरफ बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट को लेकर उन्होंने कहा कि यह बहुत बड़ी घटना हो गई है। करोड़ों हिंदुओं की आस्था से खिलवाड़ किया गया है। तत्काल अपनी गौशाला स्थापित की जाए और उनसे निकले घी और दूध से प्रसाद बनाया जाए।
बता दें कि शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती रविवार को राम जन्मभूमि परिसर के निकट क्षीरेश्वर महादेव मंदिर पर अभिषेक करेंगे। इसके बाद रामलला के मंदिर की सांस्कृतिक सीमा की परिक्रमा करेंगे और फिर अयोध्या से गौ ध्वज स्थापना का आरंभ करेंगे। पूरे भारत के प्रत्येक प्रदेश में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद गौ माता के संरक्षण और संवर्धन के लिए गौ माता की प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित करने के लिए गौ ध्वज की स्थापना का अभियान चलाएंगे, जिसका आगाज अयोध्या से होगा।
अयोध्या पहुचें शंकराचार्य ने तिरुपति बालाजी के प्रसाद में मिलावट को लेकर कहा कि यह नया विवाद नहीं बहुत बड़ी घटना हो गई है, करोड़ों सनातन धर्मियों की आस्था से खिलवाड़ किया गया है, करोड़ों सनातन धर्मियों की पवित्रता से खिलवाड़ किया गया है। यह कोई छोटा विवाद नहीं है यह युगांतर कारी घटना है और अक्षम में अपराध है कर्म की दृष्टि से भी और कानून की दृष्टि से भी इसलिए इसमें कोई विलंब नहीं किया जाना चाहिए। कोई राजनीति नहीं की जानी चाहिए तत्काल जो दोषी हैं उनको खोजना चाहिए। तत्काल उनको खोज करके दंडित किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अयोध्या जी आए हैं अयोध्या के संतों से पूरे देश के संत महंतों से धर्माचार्यों से अनुरोध करना चाहेंगे, अब समय आ गया कि अपने मंदिरों की व्यवस्था अपने हाथ में लो नहीं तो आपकी जो हिंदू जनता है उसकी पवित्रता को इसी तरह तार-तार किया जाएगा, खंडित किया जाएगा और उसका सारा दोष धर्माचार्यों पर होगा।
वहीं अखिलेश यादव के संत धर्माचार्यो को लेकर दिए गए बयान को लेकर हमलावर होते हुए कहा कि हम संत हैं इसलिए कल के वचन को सहन कर लेते हैं। अच्छा तो नहीं लगता है लेकिन मन कड़ा करके सहन करते हैं। बाकी तो मैं तो यही कहता हूं कि जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी। जैसी दृष्टि तैसी सृष्टि जैसा जिसका मन होता है उसी के अनुसार उनको दृश्य दिखाई देता है, चोर को सब चोर दिखते हैं और ईमानदार को ईमानदार।