Tulsi Puja 2025: ऐसे चढ़ाए तुलसी के पौधे पर जल, जानें वास्तु से जुड़े नियम

punjabkesari.in Sunday, Nov 02, 2025 - 01:23 PM (IST)

Tulsi Puja 2025: तुलसी पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि हिंदू धर्म में तुलसी को देवी वृंदा और भगवान विष्णु की प्रिय मानी जाती है, इसलिए विष्णु-पूजन तुलसी के बिना अधूरा माना जाता है। तुलसी के पौधे को घर में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है, साथ ही आयुर्वेद में इसे रोगनाशक और प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ाने वाली औषधि के रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। तुलसी का पौधा पर्यावरण को शुद्ध करता है, मानसिक शांति देता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है, इसलिए रोज सुबह-शाम तुलसी की पूजा करने की परंपरा है।

हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि हर रोज अगर तुलसी को जल चढ़ाया जाता है तो घर में बरकत आती है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक रविवार को ना तो तुलसी को जल चढ़ाना चाहिए और ना ही पत्तों को छूना चाहिए. इसके अलावा एकादशी, चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण वाले दिन भी तुलसी को ना तो छूना चाहिए और ना ही पत्ते तोड़ने चाहिए. ऐसा माना जाता है कि मां तुलसी रविवार को विष्णु जी के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। ऐसे में अगर तुलसी पर जल चढ़ाया गया तो उनका व्रत टूट जाता है।


तुलसी से जुड़े वास्तु नियम | Tulsi Puja 2025

तुलसी के पौधे से जुड़े कुछ वास्तु नियमों का पालन करना भी जरूरी है। शास्त्र के हिसाब से तुलसी के पौधे के पास शिवलिंग नहीं रखना चाहिए।


तुलसी के पौधे की दिशा | Tulsi Puja 2025

तुलसी का पौधा हमेशा उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है. दक्षिण दिशा में तुलसी लगाना अशुभ प्रभाव दे सकता है. 


तुलसी पूजा कैसे की जाती है?| Tulsi Puja 2025

तुलसी पूजा प्रातः या सायंकाल तुलसी के पौधे के सामने दीपक जलाकर की जाती है, जिसमें सबसे पहले तुलसी को जल अर्पित किया जाता है, फिर रोली, अक्षत, फूल, चंदन आदि चढ़ाए जाते हैं और तुलसी मंत्र या विष्णु मंत्र का जप करते हुए परिक्रमा की जाती है। पूजा के दौरान तुलसी के पास घी या सरसों के तेल का दीप जलाना शुभ माना जाता है। तुलसी के पत्ते सोमवार, रविवार और रात्रि में नहीं तोड़े जाते। कार्तिक मास में तुलसी विवाह विशेष रूप से मनाया जाता है, जिसमें तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह संस्कार किया जाता है। पूजा के अंत में तुलसी के पत्ते प्रसाद रूप में ग्रहण किए जाते हैं या जल में डालकर पिया जाता है।


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Imran

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