tulsi vivah kab hai 2025: तुलसी विवाह के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त, यहां देखें पूजा करने का समय और विधि
punjabkesari.in Sunday, Nov 02, 2025 - 01:52 PM (IST)
tulsi vivah kab hai 2025: आज पूरे देश में तुलसी पूजा की जा रही है। इसके साथ की तुलसी विवाह की भी परंपरा निभाई जा रही है। बता दें कि पौराणिक और ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, तुलसी विवाह का आयोजन हर साल हिन्दू कैलेंडर के कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को किया जाता है, जब देवउठनी एकादशी के अगले दिन भगवान विष्णु (उनके शालिग्राम स्वरूप में) और माँ तुलसी का प्रतीकात्मक विवाह संपन्न होता है। विशेष रूप से वर्ष 2025 में यह पर्व रविवार, 2 नवंबर को मनाया जाना तय किया गया है
तुलसी विवाह शुभ मुहूर्त 2025।। Tulsi Vivah Shubh Muhurat 2025
पंचांग के मुताबिक, तुलसी विवाह आज यानी रविवार 2 नवंबर 2025 को होगा। कार्तिक शुक्ल की द्वादशी तिथि 2 नवंबर को सुबह 07.31 से 3 नवंबर सुबह 05.07 तक रहेगी। जिस कारण 2 नवंबर को पूजा के लिए उदयातिथि मिल रही है, इसलिए इसी दिन तुलसी विवाह होगा। वहीं तुलसी विवाह इन मुहूर्तों में करना सर्वोतम माना जाता है:
- ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:54 से 05:42
- प्रातः सन्ध्या सुबह 05:18 से 06:34
- अभिजित मुहूर्त सुबह 11:47 से दोपहर 12:26
- गोधूलि मुहूर्त शाम 05:37 से 06:01
तुलसी विवाह की पूजा विधि।।Tulsi Vivah 2025
- .तुलसी विवाह कराने के लिए मंडप तैयार करें। मंडप को फूलों और केले के पत्तों से सजाएं। साथ ही रंगोली भी बनाएं।
- .तुलसी का पौधा, शालीग्राम व भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें और विवाह अनुष्ठान शुरू करें।
- .तुलसी पर कुमकुम, हल्दी, फूल, अक्षत (चावल) और मिठाई अर्पित करें। भगवान शालिग्राम और तुलसी को गंगाजल या पवित्र जल अर्पित करें।
- .तुलसी के पौधे और भगवान शालिग्राम की मूर्ति के बीच एक धागा बाँधें और उन्हें 7 बार फेरे दिलाएं।
- .इसके बाद भगवान विष्णु और तुलसी माता की संयुक्त आरती करें। प्रसाद के रूप में मिठाई, फल और हलवा या पंचामृत अर्पित करें। आरती के बाद परिवार के सभी सदस्य प्रसाद ग्रहण करें।
क्यों होती है तुलसी पूजा ? Tulsi Puja 2025
तुलसी पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि हिंदू धर्म में तुलसी को देवी वृंदा और भगवान विष्णु की प्रिय मानी जाती है, इसलिए विष्णु-पूजन तुलसी के बिना अधूरा माना जाता है। तुलसी के पौधे को घर में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है, साथ ही आयुर्वेद में इसे रोगनाशक और प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ाने वाली औषधि के रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। तुलसी का पौधा पर्यावरण को शुद्ध करता है, मानसिक शांति देता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है, इसलिए रोज सुबह-शाम तुलसी की पूजा करने की परंपरा है।
हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि हर रोज अगर तुलसी को जल चढ़ाया जाता है तो घर में बरकत आती है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक रविवार को ना तो तुलसी को जल चढ़ाना चाहिए और ना ही पत्तों को छूना चाहिए. इसके अलावा एकादशी, चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण वाले दिन भी तुलसी को ना तो छूना चाहिए और ना ही पत्ते तोड़ने चाहिए. ऐसा माना जाता है कि मां तुलसी रविवार को विष्णु जी के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। ऐसे में अगर तुलसी पर जल चढ़ाया गया तो उनका व्रत टूट जाता है।
तुलसी से जुड़े वास्तु नियम
तुलसी के पौधे से जुड़े कुछ वास्तु नियमों का पालन करना भी जरूरी है। शास्त्र के हिसाब से तुलसी के पौधे के पास शिवलिंग नहीं रखना चाहिए।
तुलसी के पौधे की दिशा
तुलसी का पौधा हमेशा उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में लगाना शुभ माना जाता है. दक्षिण दिशा में तुलसी लगाना अशुभ प्रभाव दे सकता है.
तुलसी पूजा कैसे की जाती है?
तुलसी पूजा प्रातः या सायंकाल तुलसी के पौधे के सामने दीपक जलाकर की जाती है, जिसमें सबसे पहले तुलसी को जल अर्पित किया जाता है, फिर रोली, अक्षत, फूल, चंदन आदि चढ़ाए जाते हैं और तुलसी मंत्र या विष्णु मंत्र का जप करते हुए परिक्रमा की जाती है। पूजा के दौरान तुलसी के पास घी या सरसों के तेल का दीप जलाना शुभ माना जाता है। तुलसी के पत्ते सोमवार, रविवार और रात्रि में नहीं तोड़े जाते। कार्तिक मास में तुलसी विवाह विशेष रूप से मनाया जाता है, जिसमें तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह संस्कार किया जाता है। पूजा के अंत में तुलसी के पत्ते प्रसाद रूप में ग्रहण किए जाते हैं या जल में डालकर पिया जाता है।

