यूपीः विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में मोबाइल ले जाने पर प्रतिबंध, छात्राओं ने किया विरोध

punjabkesari.in Friday, Oct 18, 2019 - 05:42 PM (IST)

गोरखपुर: यूपी में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए उच्‍च शिक्षा निदेशालय ने विश्वविद्यालय व संबंद्ध महाविद्यालयों में मोबाइल का प्रयोग प्रतिबंधित कर दिया है। हालांकि अभी दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय में यह आदेश नहीं पहुंचा है, पर विवि प्रशासन इसे लेकर गंभीर है। वहीं उसका दावा है कि आदेश आते ही इसे छात्रहित में सख्ती से लागू कराया जाएगा। कुछ छात्र इस आदेश को जायज ठहरा रहे हैं तो कुछ का मानना है कि पढ़ाई की दृष्टि से कक्षा में मोबाइल को प्रतिबंधित करना तो ठीक है, लेकिन परिसर में बैन करना गलत है।

किसी ने किया विरोध तो किसी ने जताई खुशी
मामले पर छात्र दिलीप यादव का कहना है कि कक्षा में पढ़ाई के दौरान मोबाइल का प्रयोग अनुचित है। परिसर में भी इस पर रोक लगाया जाना मेरी दृष्टि से उचित है। वहीं छात्रा प्रीति यादव ने  कहा कि  विवि व महाविद्यालय परिसर में मोबाइल पर प्रतिबंध ठीक नहीं है। कक्षा में इस पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगना चाहिए, ताकि पठन-पाठन में व्यवधान उत्पन्न न हो। यहीं दूसरी छात्रा सृष्टि त्रिपाठी ने कहा कि विवि कैंपस में मोबाइल पर बैन ठीक नहीं है, क्योंकि छात्र-छात्राओं को कभी भी कोई इमरजेंसी पड़ सकती है। रही बात क्लास रूम की इस दौरान छात्रों को फोन फ्लाइट मोड या फिर स्विच आफ कर सारा ध्यान पढ़ाई पर केंद्रित करना चाहिए। कई छात्राें ने माेबाइल प्रतिबंध पर खुशी जताई ताे कईयाें ने इसे अनुचित बताया।

सरकार का यह कदम सराहनीय-कुलपति
डा.ओम प्रकाश, कुलसचिव, प्रो.वीके सिंह, कुलपति, DDU का कहना है कि सरकार के ऐसे किसी भी निर्णय का अनुपालन सुनिश्चित कराया जाएगा। छात्र पढ़ाई के दौरान छात्र क्लासरूम में मोबाइल या तो स्विच रखें या फिर साइलेंट मोड में रखें। जिससे पठन-पाठन बाधित न हो। सरकार का यह कदम सराहनीय है। विवि में अभी तक यह आदेश अप्राप्त है। प्राप्त होते ही इसे तत्काल प्रभाव से लागू करा दिया जाएगा।

जेके लाल, प्राचार्य, सेंट एंड्रयूज महाविद्यालय का कथन-
सेंट एंड्रयूज महाविद्यालय में मोबाइल पर पहले से ही बैन है। परिसर में नोटिस भी चस्पा है। छात्राओं को सुविधा दी गई है, वह अपने बैग में मोबाइल रखें, जरूरत पडऩे पर ही इस्तेमाल करें। बेवजह इसका उपयोग करने व पकड़े जाने पर पचास रुपये फाइन वसूल किया जाता है। उन्हें यह लिखकर देना पड़ता है कि दोबारा पकड़े जाने पर महाविद्यालय प्रशासन का जो भी निर्णय होगा हमें मान्य होगा। 


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Ajay kumar

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