यूपीः गुमनामी में जा रहे मिट्टी के घड़ों का कोरोना ने लौटाया सम्मान, बाजारों में बढ़ी मांग
punjabkesari.in Tuesday, May 04, 2021 - 04:49 PM (IST)
फर्रुखाबादः मिट्टी के घड़ों के पानी का स्वाद भीषण गर्मी के प्यास को भले ही झट से बुझा देती है। मगर आज घर-घर में फ्रिज ने कब्जा कर लिया है। ऐसे में घड़े बाजार से गायब दिख रहे हैं। वहीं गुमनामी में जा रहे घड़ों का सम्मान कोरोना ने वापस ला दिया है।
बता दें कि चार दशक पहले तक गर्मी में पानी ठंडा करने के लिए मिट्टी का घड़ा घर-घर रखा जाता था। आम आदमी ही नहीं, शहर में पैसे वाले लोग भी घड़े का पानी पीना पसंद करते थे। अब फिर से घड़े के दिन लौट आए हैं। जहां कोरोना की वजह से लोग घड़े का पानी पीने की सलाह लोगों को दे रहे हैं। इससे घड़े की मांग बढ़ गई है।
दरअसल पहले गर्मी बढ़ने के साथ ही हर घर में बालू बिछाकर उसके ऊपर घड़ा रखा जाता था, इसमें पानी भरकर सकोरे से ढक दिया जाता था। घड़े का पानी लगभग 2 घंटे में ठंडा हो जाता था। साथ ही मिट्टी की सौंधी सुगंध आती थी. इससे पानी का स्वाद पसंद किया जाता था। मिट्टी के घड़े का पानी स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा माना जाता है। कुछ वर्षों से घड़ा और सुराही विलुप्त होने लगे थे, मांग घटने से कुंभकार ने घड़े बनाना कम कर दिया था। कोरोना काल में फ्रिज के ठंडे पानी से परहेज ने अब फिर घड़े की मांग बढ़ा दी है, इन दिनों टोंटी वाले घड़े खूब बिक रहे हैं।
कुम्हार नन्हे सिंह ने बताया कि घड़े की डिमांड इस समय बढ़ी है। लोग घड़े को खरीद रहे हैं, इस समय कोरोना से आदमी बहुत परेशान है। घड़े के पानी पीने से हमारे शरीर में कोई नुकसान नहीं होता है। घड़े का पानी जब पहले व्यक्ति पीता था, तब बीमारियां कम होती थीं। आधुनिक युग में फ्रिज, वाटर कूलर का इस्तेमाल होने लगा तो कहीं न कहीं बीमारियां ज्यादा उत्पन्न हुई हैं।
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