यूपी की 'शहजादी' को अबू धाबी में सजा-ए-मौत ?, पिता की जुबानी सुनेंगे कहानी तो निकल आएंगे आंसू
punjabkesari.in Monday, Feb 17, 2025 - 08:26 PM (IST)
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बांदा: पापा…मेरा समय खत्म हो गया है। अब हम फोन कर पाएंगे भी या नहीं…कुछ नहीं पता। ये शायद आखिरी कॉल है। इंडिया में जो केस आप लोगों ने किया है, वो वापस ले लेना, ठीक है। आप लोग अच्छे से रहना। किसी से दुश्मनी मोल मत लेना। जो FIR है, वो कैंसिल करवा देना। ये अबू धाबी में सजा-ए-मौत की सजा पाई हिंदुस्तान की बेटी 'शहजादी' के रहे।
अब हम आपको इनकी कहानी बताते हैं जिसकी बेटी विदेश में रोजी रोटी के लिए लिए गई, लेकिन ऊपर वाले को कुछ अलग ही मंजूर था। दरअसल, पिता के पास बेटी का फोन आया था... जिसमें उसने जो कहा उससे हमारा कलेजा मूंह को आ गया... इस एक कॉल ने सबकुछ बदल दिया... सबकुछ... बेटी ने कॉल करके कहा मेरा टाइम आ गया है.... सबकुछ खत्म हो गया है.... सबकुछ.... अब कभी बात नहीं कर पाएंगे... पापा... मम्मी।
दरअसल, बांदा की रहने वाली शहजादी परिवार का पेट पालने के लिए दुबई जाती है.... वहां वो एक परिवार के यहां काम करती है.. उस परिवार में एक बच्चा पैदा होता है... जिसकी महज 4 महीने के बाद मौत हो जाती है... आरोप है कि शहजादी ने बच्चे की हत्या की... इसी मामले में उसे फांसी की सजा सुनाई गई। पिता कहते हैं कि गलत तरीके से बेटी को फंसाया गया है। पिता आगे बात को बढ़ाते हुए कहते हैं कि मेरी बेटी को उसकी मालकिन ने गलत तरीके से फंसाया... वो बहुत रसूकदार हैं।
बेबस बाप ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि 2 साल पहले बेटी ने पूरी कहानी बताई थी... उसके बाद मैने उसे विदेश भेजने वालों के खिलाफ बांदा में शिकायत दर्ज कराई थी... लेकिन बांदा पुलिस ने कुछ नहीं किया... वहीं इस पूरे मामले पर पीड़ित मां का कहना है कि हमने बेटी को बचाने के लिए सबकुछ किया। यूपी से दिल्ली तक... मगर किसी ने हमारी बात तक नहीं सुनी... अंत में पिता कहते हैं.... मालूम नहीं उसे फांसी हो भी गई हो.. और फूट- फूट कर रोने लगे....
शहजादी के पिता सब्बीर, पंजाब केसरी से बात चीत के दौरान फूट- फूटफूट का रोने लगे। दुनिया के कौन से माता पिता होंगे जो मौत की खबर सुनना चाहता । उन्होंने कहा कि शहजादी सिर्फ रोजगार के लिए दूसरे मुल्क गई वहां के कानूनी प्रक्रिया में उलझाकर फंसा दिया गया। बेटी पूरी तहर से निर्देश है।
गौरतलब है कि हमारे देश में हजारों लोग दूसरे मुल्क रोजी रोजगार के लिए जाते हैं... कई बार मानव तस्करी का शिकार होते हैं.... तो कई बार उनके अधिकारों का हनन होता है... जिससे उनकी दुर्दशा होती है। फिलहाल शहजादी को लेकर परिवार का यही कहना है कि हमने बेटी के लिए हर दरवाजे को खटखटाया कि लेकिन हमें कई से न्याय नहीं मिल पाई।