विशाखापट्टनम कांडः बेहद खतरनाक है Styrene gas, जानें कहां होता है इसका इस्तेमाल

punjabkesari.in Thursday, May 07, 2020 - 04:02 PM (IST)

यूपी डेस्कः आंध्र प्रदेश विशाखापट्टनम के एक केमिकल एलजी पॉलीमर इंडस्ट्री में करीब ढ़ाई बजे जहरीले रासायनिक गैस का रिसाव शुरू हुआ। गैस के रिसाव से वहां के हालात ही बदल गए सड़कों पर लोग बेहोश होकर गिरने लगे। इतना ही नहीं यह गैस इतना जहरीला था की इसने एक बच्चे समेत 8 लोगों की जान को लील गया। इस इलाके के लोगों ने आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ और शरीर पर लाल चकत्ते पड़ने की शिकायत की है। नायडूथोटा के आरआर वेंकटपुरम इलाके में यह फैक्ट्री स्थित है।

ज्वलनशील गैस...जलने पर बन जाता है जहर
NDRF के डॉयरेक्टर जनरल SL प्रधान ने बताया कि ये गैस, सेंट्रल नर्वस सिस्टम, गले, आंखों और शरीर के अलग-अलग भागों पर भी प्रभाव डालता है। यह बहुत अधिक ज्वलनशील है। जो जलने पर जहर बन जाती है। इस खतरनाक गैस से प्रभावित लोगों को जल्द से जल्द इलाज मिलना चाहिए।  इस गैस के रिसाव के संपर्क में आने से त्वचा में चकते, आंखों में जलन, उल्टी, बेहोशी, चक्कर आना और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

प्लास्टिक बनाने में भी होता है इस्तेमाल
US नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार स्टीरीन का इस्तेमाल पॉलिस्टीरीन, प्लास्टिक बनाने, फाइबर, ग्लास, रबड़ के पाइप बनाने, ऑटोमोबाइल पार्ट्स बनाने, प्रिंटिग, कॉपी मशीन, टोनर, फूड कंटेनर्स, पैकेजिंग का सामान, जूतों, खिलौनों, फ्लोर वैक्स, पॉलिश में होता है। सिगरेट के धुएं और वाहनों के धुएं में भी स्टीरीन गैस होती है। वहीं ये प्राकृतिक तौर पर ये कुछ फलों सब्जियों, नट्स और मीट में भी पाई जाती है।

बच्चों, बूढ़ों और सांस के मरीजों के लिए है बेहद खतरनाक
कम समय के लिए अगर इस गैस का रिसाव हो तो आंखों में जलन जैसे नतीजे सामने आते हैं, वहीं लंबे समय तक गैस में रहने से यह बच्चों और बूढ़ों पर टॉक्सिक प्रभाव डालती है। स्टीरीन गैस से इंसानों में सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर ज्यादा प्रभाव पड़ता है, इसमें सिरदर्द, कमजोरी, डिप्रेशन जैसे प्रभाव देखने को मिलते हैं। बच्चों और सांस के मरीजों के लिए बहुत खतरनाक है।

कई जानवरों की भी हुई मौत
संयंत्र से तीन किलोमीटर के दायरे में जहरीली गैस के फैल जाने से आर आर वेंकटपुरम, पदमापुरम, बी सी कॉलोनी और कमपारापलेम सहित पांच गांव प्रभावित हुए हैं। जहरीली गैस से प्रभावित गांवों को खाली करा लिया गया है। इस जहरीली गैस के संपर्क में आने से कई गाय, कुत्ते और अन्य जानवारों की भी मौत हो गई हैं।

इससे भी ज्यादा खतरनाक थी 36 साल पहले घटी भोपाल गैस कांड
इस घटना ने करीब 36 साल पहले घटी विश्व की सबसे भीषण औद्योगिक दुर्घटनाओं में शामिल भोपाल गैस हादसा की याद दिला दी। यह कांड 2 दिसंबर 1984 की रात को हुआ था। विशाखापत्तनम की ही तरह भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली गैस का रिसाव हुआ था जिसका असर आज भी वहां के लोगों पर स्पष्ट देखा जा सकता है। हालांकि, यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में हुआ हादसा विशाखापत्तनम में हुए हादसे से कहीं ज्यादा डराने वाली और घातक थी। भोपाल में मिथाइल आइसोसाइनाइड के रिसाव से करीब 3,000 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 1.02 लाख लोग प्रभावित हुए थे। जो लोग बच गए थे उनके फेफड़े कमजोर पड़ गए और आंखें खराब हो गईं। इनमें से कई की तो सुधबुध चली गई और वो मनोरोगी हो गए।


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Author

Moulshree Tripathi

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